मुज्जफरनगरसोशल मीडिया पर गंगा नदी और सीएम योगी के बारे में टिप्पणी करने को लेकर मुज्जफरनगर कोतवाली पुलिस ने जाकिर अली को रविवार की शाम गिरफ्तार कर लिया। अब सोशल मीडिया पर इस गिरफ्तारी को लेकर जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। जाकिर अली के समर्थन में फेसबुक और ट्वीटर पर #istandwithzakialityagi ट्रेंड कर रहा है।
पूरा मामला कुछ यूँ है कि जाकिर अली त्यागी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने लिखा था, “अगर गंगा नदी जीवित मानव हैं तो क्या उनमें किसी व्यक्ति के डूबकर मौत हो जाती है तो गंगा पर हत्या का मुकदमा चलाया जाएगा?”
दरअसल, उनका इशारा पिछले दिनों उत्तराखंड हाईकोर्ट ते तरफ से आए उस फैसले की तरफ था जिसमें भारत की दो नदी गंगा ओैर यमुना को ‘जीवित’ का दर्जा दिया गया था।
अब सवाल उठता है कि जिस पुलिस वाले की तस्वीर जाकिर अली ने लगाई थी वो थें कौन?
दरअसल, जाकिर ने जिस पुलिस दारोगा की तस्वीर को अपनई डीपी बनाया हुआ था उनका नाम शहीद सब-इंस्पेक्टर अख्तर अली था। अख्तर अली की पुलिस विभाग में तैनाती 11 जून 2011 को हुई थी।
दरोगा अख्तर अली की हत्या 25 अप्रैल 2016 को दादरी में कर दी गई थी। तब पुलिस की एक टीम फुरकान नाम के बदमाश को पकड़ने के लिए दादरी कस्बे में गई थी।
पुलिस के मुताबिक, उन्हें सुचना मिली थी कि वहां फुरकान और उसका गिरोह छिपा हुआ है। लेकिन पुलिस जब उस जगह पर पहुंची तो बदमाशों के गिरोह ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। उस हमले में अख्तर अली की मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने एक जांच टीम गठित की थी।
लेकिन पूरे घटनाक्रम में एक पहलू यह भी है कि बदमाशों को पकड़ने जब पुलिस घर के अंदर गई तब कुल 10 पुलिस कर्मी थे। उसमें अख्तर अली को गोली लगी थी और उनके साथी पुलिस वाले उनको तड़पता हुआ छोड़कर भाग गए थे।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, दारोगा अख्तर अली गोली लगने के बाद लगभग दो घंटे तक वे तड़पते रहे। फिर उनकी मौत के एक घंटे बाद पुलिस घटना स्थल पर पहुंची थी और उनकी लाश को उठाकर ले गई थी।
हालांकि कुछ स्थानीय लोगों ने उस समय मीडिया को बताया था कि जिस घर में पुलिस बदमाशों को पकड़ने गई थी उसमें कोई नहीं छिपा था। इसीलिए पुलिस ने बाद में कहा कि सारे-के-सारे बदमाश भाग गए। लेकिन उसके बाद सवाल उठा कि जब बदमाश वहां नहीं छुपे थे तब सब-इंस्पेक्टर अख्तर अली को गोली किसने मारी?