शर्मनाक: PHD छात्र सफाई कर्मचारी सुनील यादव ने दी ट्रांसफर की अर्जी, विभाग ने बिना कारण बताए नौकरी से निकाला

महाराष्ट्र: मुंबई बीएमसी में सफाई कर्मचारी सुनील यादव, वहां कार्यरत सभी कर्मचारियों में ज्यादा पढ़े-लिखे हैं। चार डिग्री कर चुके सुनील यादव अब अपनी पांचवी डिग्री कर रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने बीएमसी से उनका ट्रांसफर मुंबई के चेंबूर में करने के लिए अर्जी दी थी।

सुनील चैंबूर में स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में पीएचडी कर रहे हैं। सुनील सिर्फ इतना चाहते थे की उनका ट्रांसफर डी वार्ड से एम वार्ड में कर दिया जाए। ताकि वह चेंबुर में काम कर सके और अपने घर और संस्थान के करीब रह सकें। लेकिन बीएमसी ने उनकी पढाई करने के जज्बे को नकारते हुए उन्हें नौकरी से हटा दिया है।

सुनील यादव ने इस बारे में बताया की “मैं डी-वार्ड से एम-वार्ड तक एक ट्रांसफर करवाने की कोशिश कर रहा हूं ताकि मैं काम के साथ अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे सकूं।

तीन साल के संघर्ष के बाद, मुझे यह नोटिस मिला कि डी-वार्ड की मेरी जिम्मेदारियों से मुझे मुक्त किया है। लेकिन जब मैं एम-वार्ड कार्यालय में गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें उनके ट्रांसफर का कोई नोटिस नहीं मिला है।

सुनील बताते हैं, ‘जब मैंने इस बारे में सवाल पूछा कि उन्होंने मुझे निकाला नहीं है बल्कि मेरी डूयूटी से मुझे ‘डी’ वार्ड की जिम्मेदारियों से कार्य मुक्त किया है। लेकिन मुझे दूसरे वार्ड में नहीं लिया जा रहा है, मैं कैसे अपने परिवार का गुजर बसर कराउंगा।’

आपको बता दें की सुनील यादव ऐसे शख्स हैं जिन्होंने दिन में देश के बहु-प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई की है और रात को अपनी ड्यूटी की है।

सुनील यादव शादीशुदा हैं और उनकी दो बेटियां हैं जोकि पढ़ाई कर रही है।
सुनील ने मास्टर ऑफ़ आर्ट्स इन ग्लोबलीसाशन एंड लेबर और एम-फिल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस से ही की है।

सुनील यादव एक दलित परिवार से आते हैं। इतने काबिल होने के बावजूद सुनील बीएमसी में सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं। जिसके पीछे की वजह है की वह दलित समुदाय के लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं।

बीएमसी की इस हरकत से परेशान सुनील का कहना है “मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरे काम में कोई दोष ना होने के कारण मुझे इस तरह के उत्पीड़न का सामना क्यों करना पड़ता है?

मैं नियमित रूप से रात में काम करने जा रहा था और दिन के दौरान मेरी पढ़ाई कर रहा था। मैंने सिर्फ इतनी सी विनती है कि मुझे ऐसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाए जो मेरे घर से थोड़ा करीब हो।’