नई दिल्ली: तीन तलाक को लेकर जहां देश भर में बहस का दौर जारी है और इससे संबंधित मोदी सरकार के बिल पर राजनीति गर्म है। वहीं दूसरी ओर कुछ मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार के इस बिल पर रोक लगाने की फरयाद की है।
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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट मानती ही नहीं है, तो फिर क़ानून बनाने की क्या ज़रूरत है। तीन तलाक बिल पर रोक की मांग करने वाले दानिश कुरैशी का कहना है कि यह अर्जी किसी संगठन की ओर से नहीं बल्कि एक आम नागरिक की हैसियत से दाखिल की गई है।
जबकि अन्य याचिकाकर्ताओं का मानना है कि केंद्रीय सरकार ऐसा कानून बनाकर मुस्लिम बिरादरी को परेशान करना चाहती है, क्योंकि इस कानून में कई खामियां हैं।