सुप्रीम कोर्ट में धर्मपरिवर्तन और ‘लव जिहाद’ से जुड़े एक मामले की सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महिला के पति को भी नोटिस जारी किया है।
एनआईए ने कोर्ट में कहा कि आरोपी युवक के खिलाफ उसके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके उसका संबंध आईएसआईएस से है। महिला के पति ने ही केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लड़की के पिता, केरल सरकार और NIA को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब भी जरूरत होगी युवती को 24 घंटे में पेश करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस लड़की के पति सैफ़ीन की ओर से लगाई गई याचिका पर दिया था।
केरल की रहनी वाली अखिला के पिता केएम अशोकन ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवक सैफीन ने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर पहले धर्म परिवर्तन कराया और शादी करने के बाद उसे आईएसआईएस में शामिल होने का दबाव बना रहा है। अशोकन ने इस शादी को तोड़ने के लिए याचिका दाखिल की थी।
अशोकन की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि शादी उसके जीवन का सबसे अहम फैसला है और उसे इसमें अपने माता-पिता की सलाह लेनी चाहिए थी। कथित तौर पर हुई शादी बकवास है और कानून की नजर में इसकी कोई अहमियत नहीं है। उसके शौहर को उसका पति बनने का कोई अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट ने अशोकन को उनकी बेटी अखिला को सुरक्षा देने के लिए कोट्टयम जिला पुलिस को निर्देश दिया। अदालत के आदेश पर महिला छात्रावास में रह रही अखिला अब अपने पिता अशोकन के साथ रहेगी। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं।
हालांकि अखिला ने कोर्ट के सामने बयान दिया कि उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम धर्म कबूल किया है। अखिला के मुसलमान बन जाने के बाद उसके पिता अशोकन ने पिछले साल अदालत में याचिका दायर की थी।
जब अशोकन की याचिका पर सुनवाई चल रही थी उसी दौरान अखिला ने सैफीन नाम के मुस्लिम लड़के से निकाह कर लिया था जिसे कोर्ट ने अवैध करार दे दिया।
केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ युवती के पति ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि बड़ा संवेदनशील मुद्दा है और इस पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है।