ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज!

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत नारायण की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह सुनवाई के लायक ही नहीं है।

सर्वोच्च अदालत ने कॉरिडोर को लेकर जताई आशंकाओं को भी निराधार बताया। पीठ ने कहा कि उस क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था रहती है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक विकास योजना है, जिसमें सभी के हित निहितार्थ हैं।

गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा घाट तक कॉरिडोर का निर्माण कराया जा रहा है। इसी योजना के तहत मंदिर परिक्षेत्र में भी कुछ निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। कॉरिडोर के निर्माण से श्रद्धालुओं के लिए गंगा घाट से बाबा विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। अभी श्रद्धालुओं को गंगा में डुबकी लगाने के बाद संकरी और व्यस्त गलियों से बाबा के दरबार तक जाना पड़ता है।

कॉरिडोर निर्माण के खिलाफ जितेंद्र नाथ व्यास और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। व्यास विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हैं तो अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ज्ञानवापी मस्जिद से। इन दोनों का कहना था कि मंदिर परिक्षेत्र में निर्माण से पहले उनकी इजाजत नहीं ली गई।

याचिकाकर्ताओं का यह भी आरोप था कि कॉरिडोर निर्माण के नाम पर केंद्र सरकार के निर्देश पर पिछले कुछ महीनों से जिला प्रशासन उस क्षेत्र में ध्वस्तीकरण का काम कर रहा है। प्रशासन ने संरक्षित धरोहर मंदिर के कुछ हिस्से और व्यास पीठ को भी ढहा दिया है। ज्ञानवापी परिसर की प्राचीन दीवार भी गिरा दी गई है। याचिका में ढहाई गई व्यास पीठ और ज्ञानवापी परिसर की चाहरदिवारी को दोबारा बनवाने की मांग भी की गई थी।

सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि व्यास पीठ या ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।

मालूम हो कि भारतीय जनता पार्टी का दशकों से नारा रहा है कि अयोध्या तो झांकी है मथुरा, काशी बाकी है। तो क्या अगले लोकसभा चुनाव से पहले मथुरा, काशी का मुद्दा उठाया जा सकता है। खासतौर से काशी का, जहां से प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी खुद सांसद हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा को अयोध्या मुद्दे में बहुत फायदा नहीं दिख रहा है। वहां तो मूर्ति और म्यूजियम बना कर ही काम चलाया जाएगा और जैसा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि सरकार और भाजपा दोनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे।

ऐसे में लोगों को भावनात्मक रूप से उद्वेलित और आंदोलित करने के काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवार के साथ बनी ज्ञानवापी मस्जिद को तोड़ने का प्रयास हो सकता है। हिंदुवादी संगठनों दशकों से इसकी मांग कर रहे हैं। ध्यान रहे काशी विश्वनाथ मंदिर को भी मुस्लिम हमलावरों ने कई बार तोड़ा और बाद में हिंदू शासकों व सेठों ने इसका पुनर्निर्माण कराया। ज्ञानवापी मस्जिद को ऐसे ही हमले की निशानी माना जाता है।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के वाराणसी से सांसद बनने के बाद से ही काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के घरों व छोटे छोटे मंदिरों को तोड़ कर गंगा के घाटों से लेकर मंदिर तक सीधी सड़क बनाने और उसे बेहतर तरीके से विकसित करने का काम चल रहा है।

कई संगठन वहां के छोटे छोटे लेकिन पौराणिक मंदिरों को तोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि मंदिरों को रास्ते से हटाने और उन्हें तोड़ने के पीछे बड़ा मकसद हो सकता है।

कहा जा सकता है कि जब मंदिर तोड़े जा रहे हैं तो मस्जिद भी हटाई जा सकती है। सो, इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है और अगले कुछ दिन में काशी का मुद्दा जोर पकड़े।