हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कश्मीरी व्यापारी की जमानत रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी जिसने कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वाटाली को जमानत दी, जहां उन पर आतंकवादी संगठनों को वित्त पोषित करने का आरोप था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कारोबारी जमानत दी और कहा कि कुछ भी नहीं दिखाया गया है कि उनका व्यापार “आतंकवादी गतिविधियों के वित्त पोषण की दिशा में था”। लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद से जुड़े आतंकवाद-वित्त पोषण मामले में एनआईए ने वाटाली को गिरफ्तार कर लिया था।

राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने इस कारोबारी को उसकी कथित भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की इस दलील पर विचार किया कि वटाली की जमानत पर रिहाई से आतंकवाद का वित्त पोषण करने के मामले की चल रही जांच पर गंभीर प्रतकूल असर पड़ेगा। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की ओर से अटार्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह पेश हुये

पीठ उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की अपील पर 26 सितंबर को आगे विचार करेगी। इस बीच, पीठ ने आरोपी कारोबारी को जांच एजेन्सी की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने 70 वर्षीय वटाली को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया था

परंतु उच्च न्यायालय ने गुरूवार को उसे जमानत देने का आदेश देते हुये कहा कि पहली नजर में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे पता चले कि जहूर अहमद शाह वटाली साजिश में संलिप्त था। जांच एजेन्सी ने अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि वटाली ने पाकिस्तान की आईएसआई, पाकिस्तानी उच्चायोग और दुबई में एक स्रोत से धन प्राप्त किया था।