जेपी बिल्डर के करीब 32 हजार घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित किया गया था।
कोर्ट ने जेपी इंफ्रा और आरबीआई से भी याचिका पर जवाब मांगा है। घर खरीदारों की दलील है कि उन्हें जेपी के प्रोजेक्ट्स में घर का पजेशन नहीं मिला है और जेपी को दिवालिया घोषित करने से उन्हें फायदा नहीं होगा।
दरअसल, जेपी इंफ्रा ने 526 करोड़ का लोन डिफॉल्ट किया था। कंपनी आईडीबीआई बैंक का 500 करोड़ रुपये का लोन नहीं चुका पाई थी जिसके बाद आईडीबीआई बैंक ने एनसीएलटी में जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित करने की अर्जी दी थी।
अनुज जैन को इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया। एनसीएलटी ने जेपी इंफ्रा को अपना पक्ष रखने के लिए 270 दिनों की मोहलत दी थी। इस दौरान अगर कंपनी की स्थिति सुधरी तो ठीक, नहीं तो उसकी सभी संपत्तियां नीलाम करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित करने पर रोक लगाते हुए 5 रिट पिटीशन पर एक साथ हुई सुनवाई करने का फैसला किया है। जेपी इंफ्रा के घर खरीदारों ने कंपनी पर पिटीशन दायर की थी जिसकी अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
जेपी इंफ्रा में 32,000 घर खरीदारों को फ्लैट का पजेशन नहीं मिला था। कंपनी पर लगे इन्सॉल्वेंसी ऑर्डर से बुरी तरह प्रभावित खरीदार हुए थे। कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने घर खरीदारों को इन्सॉल्वेंसी एक्ट के तहत फॉर्म भरने को कहा था।
बैंकरप्सी कोड में खरीदार सिक्योर्ड क्रेडिटर्स की श्रेणी में नहीं आते है। पहले सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को रकम मिलेगी। सिक्योर्ड क्रेडिटर्स बैंक, वित्तीय संस्थान होते हैं और बची हुई रकम खरीदारों को मिल सकती है।