एनआरसी : सुप्रीम कोर्ट ने नाम शामिल करने के दावे पेश करने की तारीख टाल दी

असम में नागरिकता तय करने के लिए ड्राफ्ट एनआरसी में नाम शामिल करने के दावे पेश करने की तिथि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल टाल दी है। सुनवाई के दौरान एनआरसी के स्टेट कोआर्डीनेटर प्रतीक हजेला ने दावे पेश करने के साथ 15 अतिरिक्त दस्तावेज में से सिर्फ 10 को स्वीकार किए जाने का सुझाव दिया।

इस पर कोर्ट ने केन्द्र सरकार व अन्य पक्षकारों से दो सप्ताह मे जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 19 सितम्बर को होगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने एनआरसी कोआर्डिनेटर से रिपोर्ट की कॉपी मुहैया कराने की मांग की लेकिन जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मांग को खारिज कर दिया।

केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें वो रिपोर्ट चाहिए ताकि हम ये जान सकें कि जिन 40 लाख लोगों को एनआरसी के ड्राफ्ट से बाहर रखा गया है, उनकी विरासत का क्या होगा। तब कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भले ही इस रिपोर्ट को मांग रही है लेकिन हमें चीजें संतुलित करनी है।

28 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या उसने लोगों को नए सिरे से वंशावली दाखिल करने की इजाज़त के परिणाम पर गौर किया है। रजिस्टर में छूट गए लोगों की आपत्तियों के निराकरण के समय इसकी इजाज़त देना पूरी प्रक्रिया नए सिरे से शुरू करने जैसा है।

सुनवाई के दौरान एनआरसी ने कहा था कि वो अपने ड्राफ्ट की पुष्टि के लिए सैंपल सर्वे करना चाहता है। 10 फीसदी लोगों का सैंपल सर्वे कर देखा जाएगा कि नागरिक रजिस्टर बनाने का काम सही तरीके से हुआ या नहीं।

पूर्व में कोर्ट ने एनआरसी के स्टेट कोआर्डिनेटर को निर्देश दिया था कि वह सीलबंद लिफ़ाफ़े मे जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से जिलेवार उन लोगों की सूची दें जो एनआरसी ड्राफ़्ट की लिस्ट से बाहर हैं।

14 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने एनआरसी में लोगो के आपत्तियों और दावों के निपटारे के लिए एक मानक नियम (एसओपी) तैयार कर लिया है। 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के प्रकाशन के बाद उस पर लोगों की आपत्ति दर्ज कराने के लिए सरकार को प्रक्रिया और नियम संबंधी ड्राफ्ट (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया था।

सुनवाई के दौरान एनआरसी के कोआर्डिनेटर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सात अगस्त से लोग ये जान सकेंगे कि एनआरसी के दूसरे ड्राफ्ट में उनका नाम किन वजहों से शामिल नहीं किया गया है। वे 30 अगस्त से 28 सितंबर तक आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।