रघुराम राजन ने चेतावनी देते हुए कहा कि पूंजीवाद की स्थिरता गंभीर खतरे में है

लंदन : केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि बाजार और शासन समुदायों में वृद्धि को आगे बढ़ाने लगे हैं, जो प्रौद्योगिकी-संचालित वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में पूंजीवाद की स्थिरता को खतरे में डाल रहे हैं। इस उपेक्षा ने लोकतंत्र के खंभों बाजार, शासन और समुदाय के भीतर असंतुलन पैदा कर दिया है और इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों की कमी और सामाजिक अशांति पैदा हुई है।

राजन ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए भारत में दर्शकों से बात कर रहे थे जो अब शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं। उन्होने कहा “लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक-दूसरे के साथ काम करने वाली ये ताकतें पूंजीवाद का काम करती हैं। इसलिए हमने पश्चिम और भारत में अर्थव्यवस्थाओं को फल-फूल रहा है”।

उन्होने कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में विचार करते समय दुनियाभर की सरकारें सामाजिक असमानता को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘मेरा मानना है कि पूंजीवाद गंभीर खतरे में है क्योंकि इसमें कई लोगों को अवसर नहीं मिल पा रहे हैं और जब ऐसा होता है तो पूंजीवाद के खिलाफ विद्रोह खड़ा हो जाता है।’

राजन ने कहा कि मुझे लगता है कि पूंजीवाद कमजोर पड़ रहा है क्योंकि यह लोगों को बराबर अवसर नहीं दे रहा है। और वास्तव में जो लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं, उनकी स्थिति बिगड़ी है।’ राजन ने कहा, ‘संसाधनों का संतुलन जरूरी है, आप अपनी पसंद से कुछ भी चुन नहीं सकते हैं। वास्तव में जो करने की जरूरत है, वह है अवसरों की स्थिति में सुधार लाना।’

पूर्व गवर्नर ने कहा कि पहले ‘मामूली शिक्षा’ के साथ मध्यम श्रेणी की नौकरी प्राप्त करना संभव था, लेकिन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद स्थिति बदली है। अगर आपको सफलता हासिल करनी है, तो आपको वास्तव में अच्छी शिक्षा हासिल करने की जरूरत है।