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Urdu Poem
राहत इन्दौरी की ग़ज़ल: “मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ”
November 10, 2016
इरफ़ान सत्तार की ग़ज़ल: “ख़ुश-मिज़ाजी मुझ पे मेरी बे-दिली का जब्र है”
November 3, 2016
साहिर लुधियानवी की नज़्म: “कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं है”
October 12, 2016