ताजमहल पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, योगी सरकार को लगाई कड़ी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दृष्टिपत्र का मसौदा दाखिल करने पर उत्तर प्रदेश सरकार को गुरुवार को आड़े हाथ लिया। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई और इस मामले के प्रति उसकी गंभीरता पर सवाल भी किए।

पीठ ने यूपी सरकार के वकील से सवाल किया, आपने योजना का मसौदा क्यों दिया है? क्या इसकी जांच करना हमारा काम है? शीर्ष अदालत ने कहा कि आश्चर्य है कि दृष्टिपत्र का मसौदा तैयार करते समय इस विश्व धरोहर के संरक्षण के लिए जिम्मेदार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से कोई परामर्श नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से जानना चाहा कि क्या केंद्र या संबंधित प्राधिकारियों ने ताजमहल के प्रबंधन के बारे में योजना पेरिस स्थित यूनेस्को के विश्व धरोहर केंद्र को सौंपी है। पीठ ने कहा, उस स्थिति में क्या होगा, यदि यूनेस्को यह कह दे कि हम ताजमहल का विश्व धरोहर का दर्जा वापस ले लेंगे?

इस सवाल के जवाब में अटार्नी जनरल ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है और यदि इस ऐतिहासिक स्मारक का विश्व धरोहर का दर्जा वापस लिया जाता है तो यह देश के लिए बहुत ही शर्मिन्दगी वाली बात होगी। शीर्ष अदालत ने वेणुगोपाल से यह भी जानना चाहा कि केंद्र और राज्य सरकार के किस विभाग के पास ताज ट्रैपेजियम जोन की देखभाल की जिम्मेदारी है।

ताज ट्रैपेजियम जोन करीब 10,400 किलोमीटर में फैला है और इसके दायरे में उप्र के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा और राजस्थान का भरतपुर जिला शामिल है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि दृष्टिपत्र का मसौदा इंटैक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज) सहित संरक्षण विशेषज्ञों के पैनल को भी उनकी टिप्पणियों के लिए सौंपा जाए। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।