उत्तर प्रदेश : दलित दूल्हे की बारात का ठाकुरों ने किया विरोध, दूल्हे ने कहा क्या मैं हिन्दू नहीं हूं

हाथरस जिले के बसई बाबस गांव निवासी संजय कुमार की बारात जल्द ही कासगंज इलाके के एक ठाकुर बहुल गांव जाने वाली है लेकिन ठाकुरों द्वारा इस बारात का विरोध किया जा रहा है। जनसत्ता की खबर के अनुसार ठाकुर चाहते हैं कि बारात उन्हीं रास्तों से निकले जहां से हमेशा दलितों की बारात निकलती है और यह ठाकुरों के मोहल्ले से होकर ना गुजरे। जबकि दलित चाहते हैं कि बारात पूरे गांव से होकर गुजरे, इसी को लेकर विवाद है।

पिछले कुछ समय से दूल्हा संजय, लगभग सभी सरकारी कार्यालयों, पुलिस अधिकारी, मुख्यमंत्री, एससी-एसटी कमीशन समेत अधिकतर मीडिया हाउस को चिट्ठी लिखकर यह सवाल पूछ चुके हैं कि ‘क्या मैं हिंदू नहीं हैं?’ संजय अपनी बारात ले जाने के लिए सोशल मीडिया पर भी मदद की गुहार लगा चुके हैं।

आखिरकार 15 मार्च को संजय ने मदद के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है। संजय का कहना है कि जब देश का संविधान कहता है कि हम सब समान हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो कि हिदुत्व पार्टी के सीएम हैं, कहते हैं कि हम सब हिंदू हैं। अगर ऐसा है तो फिर मुझे इस तरह की परेशानी का सामना क्यों करना पड़ रहा है? मैं हिंदू नहीं हूं क्या? संविधान से चलने वाली सरकार में लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते।

शादी में अब सिर्फ 20 दिन बाकी हैं। बीते सप्ताह कासगंज के जिलाधिकारी और एसएसपी ने भी होने वाली दुल्हन के गांव का मुआयना किया। इस दौरान डीएस और एसएसपी ने उन रास्तों की जांच की, जहां से होने वाले दूल्हे संजय ने बारात गुजारने की मांग की है। जांच के बाद अधिकारियों ने बारात को उस रास्ते पर ले जाने पर असहमति जता दी।

गांव की 90 प्रतिशत आबादी ठाकुर है, वहीं बारात निकालने की मांग पर अड़ा दलित परिवार बसपा से जुड़ा है। ऐसे में इस शादी के रास्ते में जातिवादी राजनीति भी अड़ंगा डाल रही है। गांव की प्रधान और ठाकुर समुदाय की कांति देवी का कहना है कि हमें कोई दिक्कत नहीं, लड़की की शादी हो। दिक्कत ये है कि कोई जबरदस्ती हमारे रास्ते पर आएगा और दीवार तोड़ेगा।

जब बारात कभी हमारे रास्ते से निकली नहीं है तो क्यूं विवाद वाला काम किया जा रहा है? हैरानी की बात है कि जिले के डीएम जो कि खुद भी ऊंची जाति से संबंध रखते हैं, उनका कहना है कि दोनों पक्ष हिंदू हैं। हिंदुओं में शादी एक भावना है, ना कि कोई जुलूस। दलित बेवजह लड़ाई का मुद्दा बना रहे हैं। हम परंपरा नहीं बदल सकते। इलाके के ठाकुर विधायक भी ठाकुरों के पक्ष में ही खड़े दिखाई दे रहे हैं।