ऐसा समाज हो जिसमें बलात्कार करने की कोई हिम्मत न कर सके

आज कल हर ओर से कम उम्र बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं की खबरें आ रही हैं। कठुआ में तो दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गई। अब इंदोर से खबर आई है कि एक शख्स ने 6 महीने की एक बच्ची को अपना शिकार बनाया। अखबारों के पन्नों पर इस तरह की खबरों से भरे रहते हैं।

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कठुआ के घटना से तो पूरी सभ्य दुनिया हैरान रह गई, जब पता हुआ कि कुछ वकील हाथों में तिंरगा ले लेकर बलात्कारियों के पक्ष में खड़े हो गए। बलात्कारियों के धर्म की बातें भी सामने आने लगीं, लेकिन लोगों को मालूम होना चाहिए कि दरिंदगी करने वालों का एक ही धर्म होता है और वह धर्म है दरिंदगी। दरिंदों को हिन्दू या मुस्लिम कहना ठीक नहीं है।

बलात्कार की जो खबरें आ रही अहिं, उनमें एक अजीब बात देखने को मिल रही है। सत्ताधारी दल बलात्कार विरोधी प्रदर्शन को अपने खिलाफ प्रदर्शन मान रही हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। सच बात यह है कि यह आंदोलन हैवानियत के खिलाफ है और जो भी उन हैवानों के साथ खड़ा है, उनके खिलाफ हैं।

लिहाज़ा बलात्कार के मामले में राजनीति को तलाश करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सत्ताधारी दल के कुछ लोग इसी मानसिकता की वजह से कठुआ जैसे घटना पर अजीब व गरीब बयान दे रहे थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री ने विदेश यात्रा पर पूरी दुनिया में कठुआ के घटना पर आक्रोश का इज़हार करते हुए लोगों को देखा, तब उनको अंदाज़ा हुआ कि अब मामला पूरी दुनिया में फ़ैल चूका है।

विदेश से आते ही दो घंटे के अंदर कैबिनेट की बैठक बुलवाया और एक ऑर्डिनेंस का मसौदा पास कर दिया गया, जिसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्ची की दुष्कर्म करने वाले को सजाये मौत दी जाएगी, उसकी जमानत नहीं होगी और चार महीने के अंदर सज़ा सुना दी जाएगी।