मीडिया में लगातार झूठी खबरों का चलन बढ़ता ही जा रहा है। पहले मीडिया वाले झूठी खबरें चला कर किसी भी व्यक्ति की इज़्ज़त की धज्जियां उड़ाने से नहीं चूकते फिर माफ़ी भी खुल कर माँगना ये लोग ठीक नहीं समझते हैं।
कल यानी 21 मार्च 2017 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया की फ्रंट पेज की रिपोर्ट में जेनयू के 15 अक्टूबर 2016 को लापता छात्र नजीब अहमद को आईएसआईएस का समर्थक बताया।
राजेशकर झा की रिपोर्ट में लिखा हुआ था, ‘पुलिस को नजीब अहमद की सर्च हिस्ट्री की रिपोर्ट मिली है जिसमे पता चला है कि नजीब इस्लामिक स्टेट की विचारधारा और नेटवर्क के बारे जानकारी इकट्ठा कर रहा था।’
पुलिस स्रोतो के अनुसार नजीब ने जितने वीडियो यू ट्यूब पर देखी थें सब आईएस से सम्बंधित थी। इस सूचना को हाई कोर्ट में पेश कर दिया गया है। इसके साथ ही फ्रंट पेज पर 70 शब्दों की सूचनापरक रिपोर्ट के बाद तीसरे पेज पर 500 शब्दों की रिपोर्ट नजीब के आईएस से सबंध होने के बारे में थी।
वहीं ऐसी ही रिपोर्ट कई बड़े टीवी न्यूज़ चैनल पर चलाई गयी थी। लेकिन आखिर में खबर आई कि ये सभी रिपोर्ट रद्दी है और नजीब के लैपटॉप की ब्राउज़िंग हिस्ट्री की कोई पुलिस रिपोर्ट मौजूद ही नहीं है।
हालाँकि इसी वक़्त दक्षिणपंथियों ने नजीब के आईएस के समर्थक होने की खबर को सोशल मीडिया पर फैलाने का काम किया। जहां पर टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने नजीब को आईएस के समर्थक की रिपोर्ट 570 शब्दों में पहले पृष्ठ और तीसरे पृष्ठ पर छापी थी।
वहीं इस खबर के स्पष्टीकरण की रिपोर्ट 75 शब्दों में पांचवे पृष्ठ पर 22 मार्च को छापी जिसमे कहा गया की दिल्ली पुलिस के अनुसार ऐसी कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं है। हालाँकि रिपोर्ट छापने वाले रिपोर्टर राज शेखर झा ने ट्विटर पर खुद का बचाव करने की कोशिश की है।
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