कांग्रेस के तेलंगाना मेनीफेस्टो को रिपब्लिकन टीवी और टाइम्स नाउ ने मुस्लिम के लिए खास बताया, किया गलत रिपोर्टिंग!

टाइम्स नाउ द्वारा 27 नवंबर, 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट का शीर्षक था — “तेलंगाना चुनाव: कांग्रेस घोषणापत्र में ‘केवल मुस्लिमों के लिए स्कूलों, सरकारी ठेकों’ के चौंकाने वाले वायदे”(अनुवाद)। इस रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना विधानसभा चुनावों से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता को लुभाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने केवल मुस्लिमों के लिए सात योजनाओं का वादा किया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “ये योजनाएं हैं — मस्जिदों और चर्चों के लिए मुफ्त बिजली, सरकारी ठेकों में मुस्लिम युवाओं के लिए विशेष अवसर, गरीब मुस्लिम छात्रों को 20 लाख रुपये की सहायता, मुस्लिमों के लिए आवासीय विद्यालय, अल्पसंख्यकों के लिए अस्पताल, अल्पसंख्यकों के लिए विशेष उर्दू डीएससी (जिला चयन समिति), और धर्म के आधार पर भर्ती करने वाले प्रतिष्ठानों को दंड।” (अनुवाद)

टाइम्स नाउ की प्रबंध संपादक, नविका कुमार ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर एक शो भी किया जिसमें उन्होंने कहा, “मुस्लिमों के लिए अस्पताल बनाए जाएंगे, मुस्लिमों के लिए स्कूल बनाए जाएंगे।” (अनुवाद)

रिपब्लिक टीवी ने भी इसी संदेश के साथ रिपोर्ट की, कि कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र ने तेलंगाना में विशेष रूप से मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यक वर्गों के लिए सात फायदों का वादा किया है। रिपोर्ट का शीर्षक कहता है, “तेलंगाना में कांग्रेस का तुष्टीकरण का प्रयास: ‘केवल मुस्लिमों के लिए’ स्कूल और अस्पताल, मस्जिदों के लिए नि:शुल्क बिजली का वादा किया”। (अनुवाद)

दावे और घोषणापत्र

दावा 1: मस्जिदों और चर्चों को मुफ्त बिजली की आपूर्ति
‘धार्मिक क्षेत्र’ के तहत, घोषणा पत्र यह बताता है कि राज्य में मंदिरों, मस्जिदों और चर्चों को मुफ्त बिजली प्रदान की जाएगी। बताए गए मीडिया संगठनों द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों में मंदिरों के लिए मुफ्त बिजली की आपूर्ति का उल्लेख नहीं है और इसकी बजाय मस्जिदों और चर्चों के संदर्भ को उभारा गया है।

दावा 2: केवल इमाम के लिए मानदेय
मानदेय के बारे में बात करते हुए, रिपब्लिक टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी ने अपनी बहस में कहा, “मस्जिद के जो इमाम हैं उनको 6000 रुपये ज्यादा मिलेंगे। मंदिर के पुजारी को नहीं मिलेगा।” (अनुवाद)

घोषणापत्र कहता है, “643 मंदिरों में काम करने वाले पुजारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर वेतन दिया जाएगा। पुजारी और कर्मचारियों को दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य कार्ड भी मिलेगा।” (अनुवाद)

इसके अलावा, यह भी कहा गया है, “मंदिर के पुजारियों और मस्जिदों के इमाम/मौजानों के बराबर पादरी और फादर्स को मानदेय दिया जाएगा।” (अनुवाद)

गोस्वामी का दावा घोषणापत्र के अल्पसंख्यक खंड में बताए गए बिंदु पर आधारित था, जो कहता है, “मस्जिदों के सभी इमाम और मौजानों को 6,000 रुपये का मासिक मानदेय दिया जाएगा।”

दावा 3: मुस्लिमों को छात्रवृत्ति
रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ अपने समाचार ख़बरों में, साथ ही अर्नाब गोस्वामी ने अपनी बहस में भी, 20 लाख रुपये की सहायता का उल्लेख किया है जो ‘विदेश शिक्षा’ के लिए गरीब ‘मुस्लिम’ (अल्पसंख्यक) छात्र को दिया जाएगा। इन ख़बरों मे इसे ‘केवल मुस्लिम के लिए’ योजना के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि घोषणापत्र में इसका दूसरे रूप में उल्लेख है, अल्पसंख्यकों, एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी छात्रों के लिए।

दावा 4: मुस्लिमों को सरकारी ठेकों में विशेष महत्व
रिपब्लिक टीवी की रिपोर्ट में कहा गया है, “अल्पसंख्यक युवाओं को सरकारी ठेकों में विशेष महत्व दिया जाएगा।” हालांकि यह रिपोर्ट तेलंगाना आंदोलन में भाग लेने वाले युवाओं के लिए किए गए वादे, साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य वंचित समुदायों के लिए सरकारी ठेकों में 5 प्रतिशत आरक्षण की वचनबद्धता पर प्रकाश डालती है।

दावा 5: ‘मुस्लिम अस्पताल’
अपनी बहस में, गोस्वामी ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस ने तेलंगाना में ‘मुस्लिम अस्पतालों’ का वादा किया है और समाचार चैनल द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया, “विशेष रूप से मुसलमानों के लिए अस्पताल स्थापित किए जाएंगे”। घोषणापत्र कहता है, “अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की स्थापना की जाएगी।” कहीं भी, यह नहीं कहा गया है कि ये अस्पताल केवल मुसलमानों के लिए हैं, जैसा कि कई समाचार संगठनों ने दावा किया है। समाचार रिपोर्ट कई अन्य योजनाओं पर ध्यान नहीं देती है जिनमें प्रत्येक मंडल और विधानसभा क्षेत्रों में बनाए जाने वाले अस्पतालों का संदर्भ हैं।

दावा 6: मुसलमानों के लिए आवासीय विद्यालय
घोषणापत्र में लिखा हैं, “अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के लिए विशेष आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाएंगे” लेकिन घोषणापत्र में कई आवासीय विद्यालयों के वायदे हैं जो अन्य समूहों से किए गए हैं, जिन्हें अनदेखा किया गया है। इनमें दृष्टि बाधित लोगों और जनजातीय समुदायों के लिए प्रावधान शामिल हैं।

दावा 7: धार्मिक भेदभाव के खिलाफ कार्रवाई
घोषणापत्र के मुताबिक, “सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में नौकरियां देने में धार्मिक आधार पर सभी प्रकार के भेदभाव बंद किए जाएंगे।” घोषणापत्र के इस प्रावधान को रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण के रूप में चित्रित किया गया है, इस तथ्य के बावजूद कि घोषणापत्र में प्रावधान की भाषा केवल मुसलमानों को संदर्भित नहीं करती है। “उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जो किसी को उसके धर्म के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरियों से इनकार करते हैं”, – इस वाक्य में विशिष्ट रूप से किसी धर्म का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे इस्लाम/मुसलमानों के लिए समझा गया, क्योंकि इसका उल्लेख घोषणापत्र के अल्पसंख्यक अनुभाग में किया गया था। टाइम्स नाउ के रिपोर्टर, पॉल ओमेन ने प्रसारण में इसे और भी गलत तरीके से रिपोर्ट किया, “उन्हें धर्म के आधार पर रोजगार देना होगा।“ (अनुवाद)

दावा 8: एकल मुसलमानों को घरों के निर्माण के लिए 5 लाख रुपये दिए जाएंगे
बहस में, अर्नब गोस्वामी ने कहा, “घर बनाने के लिए हिंदूओं को, सिखों को घर बनाने के लिए लोन भी नहीं मिलेगा। ये सिर्फ मुसलमानों को मिलेगा”।

घोषणापत्र कहता है, “पात्र अल्पसंख्यकों को अपने घर के निर्माण के लिए 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।” इसके अलावा, यह भी कहा गया, “एससी, एसटी परिवारों को अपने घर के निर्माण के लिए 6 लाख रुपये दिए जाएंगे।” पार्टी ने अपनी जमीन पर घर के निर्माण के लिए योग्य लोगों को 5 लाख रुपये की सहायता का भी वचन दिया है। गहन घरेलू सर्वेक्षण के अनुसार 22 लाख व्यक्ति आवास इकाई प्राप्त करने के पात्र हैं।

अन्य मीडिया संगठन और सोशल मीडिया
ज़ी न्यूज ने भी घोषणापत्र को मुस्लिम समुदाय-केंद्रित के रूप में चित्रित करने वाले ख़बरों के साथ रिपोर्ट की (2:32 मिनट पर)।

इसके अलावा, ये दावे सोशल मीडिया में भी प्रतिध्वनित हुए हैं। बहुत ज्यादा फॉलोअर्स वाले फेसबुक पेज भारत पॉजिटिव (Bharat Positive) ने टाइम्स नाउ के स्रोत देते हुए पोस्ट किया है।

ऋषि बागरी, जिन्हें ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फॉलो करते हैं, ने भी, उसी संदेश के साथ टाइम्स नाउ की बहस के वीडियो को ट्वीट किया था।

कर्नाटक के भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने भी टाइम्स नाउ द्वारा रिपोर्ट किए गए सात बिंदुओं को पेश करने वाली तस्वीर को ट्वीट किया।

तेलंगाना में 7 दिसंबर को चुनाव होगा। इसके कुछ ही दिन पहले, टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी द्वारा की गई रिपोर्टिंग में विभिन्न धर्मों के पूर्वाग्रह को उभारने के अलावा, मतदान से पहले जनता की राय को मोड़ने का सामर्थ्य रखता है।

साभार- ‘Alt न्यूज़ हिन्दी’
(https://www.altnews.in/hindi/times-now-and-republic-tv-misreport-congress-manifesto-for-telangana-as-muslim-centric/)