अमेरिकी मूल के उर्दू बोलने वाले टॉम अल्टर, जिन्होंने ‘मौलाना आजाद’ को पर्दे पर फ़िर से जिंदा किया

अभिनेता, लेखक और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित टॉम आल्टर का 67 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह बीते काफी दिनों से स्किन कैंसर की बीमारी से पीडि़त थे और जिंदगी व मौत के बीच जंग लड़ रहे थे। बताया जा रहा है कि ऑल्टर कैंसर की चौथी स्टेज में थे। टॉम ऑल्टर ने सिर्फ टीवी और फिल्मों में ही नहीं, थियेटर में भी लंबे समय तक काम किया है।

उम्दा उर्दू बोलने वाले टॉम ऑल्टर का जन्म सन 1950 में मसूरी में हुआ था। वे भारत में तीसरी पीढ़ी के अमेरिकी थे। उन्होंने वूडस्टॉक स्कूल में पढ़ाई की और इसके बाद थोयेल यूनिवर्सिटी में पढ़े। सन 1972 में उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट में एडमीशन लिया। अस्सी और नब्बे के दशक में उन्होंने खेल पत्रकारिता भी की। वह टीवी पर सचिन तेंदुलकर का इंटरव्यू लेने वाले वह पहले व्यक्ति थे।

ऑल्टर हिंदी, उर्दू और भारतीय संस्कृति के जानकार रहें। वह उर्दू पढ़ सकते थें लिखतें थें यहाँ तक की उर्दू शायरी के शौकीन भी रह चुकें। उनके पिता ने बाइबिल को उर्दू में अनुवाद किया था। ऑल्टर को हमेशा से ही उर्दू ज़ुबान से मोहबब्त रही वही वजह है की उन्होंने उर्दू में बहुत सी किताबें भी लिखी।

1996 में उन्होंने असमिया-भाषा की फिल्म अदया में दिखाई दिए और 2007 में जोहरा सेहगल और मनीष जोशी बिस्मिल के साथ विलियम डेलरिम्पल के सिटी ऑफ जिन्न्स के नाटकीय प्रजनन में भी अभिनय किया। साथ ही मौलाना आजाद के आधार पर उन्होंने एक एकल नाटक मौलाना में भी अभिनय किया, जिसके लिए उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने आर्ट फिल्म ओशन ऑफ ए ओल्ड मैन में उनकी भूमिका के लिए प्रशंसा भी प्राप्त की है, जो दुनिया भर के फिल्म समारोहों में प्रदर्शित की गई है। दिल्ली में ग़ालिब में उन्होंने मिर्जा गालिब की भूमिका निभाई थी।

टॉम ने 1974 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे से एक्टिंग में ग्रेजुएशन के दौरान गोल्ड मेडल हासिल किया था। 67 साल के टॉम ने टीवी शोज के अलावा 300 के करीब फिल्मों में भी काम किया है। उन्हें खासतौर पर मशहूर टीवी शो जुनून में उनके किरदार केशव कल्सी के लिए जाना जाता है। 1990 के दशक में यह टीवी शो लगातार पांच साल तक चला था।