अब त्रिपुरा ने भी कहा- नहीं मानेंगे मोदी सरकार का फ़ैसला, हमारे राज्य में हर चीज़ खाने की आज़ादी

केंद्र सरकार के नए पशु वध कानून को कई राज्यों ने मानने से इंकार कर दिया है। इसको लेकर केरल में सबसे अधिक विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। इस बीच अब त्रिपुरा ने भी मोदी सरकार के इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

त्रिपुरा के कृषि एवं पशु संसाधन विकास मंत्री अघोर देबबर्मा ने कहा है कि उनकी वाम मोर्चा सरकार केंद्र के इस नए कानून को लागू नहीं करेगी, क्योंकि यह लोगों के हितों के खिलाफ है।

देबबर्मा ने कहा, “केंद्र सरकार ने हमें अब तक पशु व्यापार और पशु वध नियम मुहैया नहीं कराए हैं। और न हीं उन्होंने हमसे विचार-विमर्श न किया।”

वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक के कृषि मंत्री कृष्णा बी. गौड़ा ने कहा है कि केंद्र का नया कानून किसानों और गरीब से गरीब बनाएगा।

बता दें कि मोदी सरकार के फैसले पर मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी है। इसी तरह की दो याचिकाएं सोमवार को केरल हाईकोर्ट में भी डाली गई थीं जिसमें कहा गया है कि केंद्र का यह नोटिफिकेशन पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के विपरीत है। साथ ही ये असंवैधानिक हैं क्योंकि केंद्र को इस तरह का नियम बनाने का वैधानिक अधिकार नहीं है।

गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए 26 मई को पशु वध कानून के नियमों में संशोधन किया था। नए कानून के मुताबिक, पशु बाजारों में बिकने वाले पशुओं का वध करना गैर-कानूनी होगा। गाय, सांड, भैंस, बछिया, बछड़ा और ऊंट के खरीद खरीद-फरोख्त करने पर प्रतिबंध होगा।