त्रिपुरा में जनता ने ‘माणिक’ को ठुकराकर ‘हीरा’ को अपना लिया. पहले पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का किला धराशायी हुआ तो अब त्रिपुरा में बीजेपी से पटखनी मिली. दिलचस्प ये है कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में इसी बीजेपी के 49 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. साठ सीटों पर पचास उम्मीदवार उतारने के बावजूद एक भी सीट बीजेपी ने नहीं जीती थी. यहां तक कि बीजेपी को सिर्फ दो फीसदी वोट ही मिल सके थे. लेकिन पिछले पांच साल में बदलाव की बयार ऐसी चली कि जिस त्रिपुरा को लेकर लेफ्ट ताल ठोंकती थी आज उसी अखाड़े में वो चारों-खाने चित हो गई.
भाजपा जहाँ इस जीत पर इतरा रही हैं वही तिन मुस्लिम उमीदवार ऐसे भी थे जिन्होंने मोदी लहर के बावजूद सफल हुए हैं . सीपीएम नेता शाहिद चौधरी बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, उनको मिलाकर कुल तीन मुस्लिम उमीदवार जीतने में सफल रहे.
बता दें की भाजपा ने त्रिपुरा में एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी शाहिद चौधरी के खिलाफ उतारा था लेकिन भाजपा प्रत्याशी बहरुल इस्लाम चुनाव हार गए. भाजपा ने त्रिपुरा में सीपीएम को हराने के लिए मुस्लिम मतदाताओ को भी रिझाने की कोशिश की थी.चौधरी के अलावा सीपीएम उम्मीदवार इस्लामुद्दीन कदमतला कुर्ती और कैलाशशहर से मोबिशिर अली जीतने में सफल रहे है.