नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की ओर से यरूशलेम को यहूदी राज्य की राजधानी स्वीकार किए जाने पर वैश्विक समुदाय की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। यहां तक कि अमेरिकी सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भी इस इस मुद्दे पर शर्मिंदा और रुसवा हो गया।
Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ट्रम्प के इस फैसले ने दोस्त और दुश्मन दोनों को एकजुट कर दिया। ऐसे देश जिन के बीच राजनयिक संबंध भी नहीं हैं और वह संयुक्त राष्ट्र में कभी भी एक रुख पर एकजुट नजर नहीं आते, उन्होंने भी फिलिस्तीन के जनता की समर्थन में अपनी दुश्मनी को भुला दिया।
गौरतलब है कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा में यरूशलेम के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव में वोटिंग करने वाले देशों को धमकी दी थी। ट्रम्प ने उन देशों को भी सीधे तौर पर चेतावनी दी थी कि जिन को अमेरिका लाखों डॉलर सहायता के तौर पर देता है। उसमें मिस्र, जोर्डन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत दर्जन भर से अधिक देश शामिल हैं, लेकिन किसी भी देश ने अमेरिकी धमकी पर तवज्जह नहीं दिया।
अगर कोरयाई द्वीप की बात की जाये तो आपस में सख्त दुश्मन दक्षिण व उत्तर कोरिया ने भी फिलिस्तीन की प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की। दक्षिण कोरिया और उत्तरी कोरिया न सिर्फ एक दुसरे के सख्त दुश्मन हैं बल्कि दोनों देश एक दुसरे को मिटाने की धमकी देते रहते हैं। दक्षिण कोरिया अमेरिका का सहयोगी देश है। उसी तरह भारत और पाकिस्तान ने भी इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट की।