मोदी सरकार ने मध्यान भोजन योजना में अरहर की दाल शामिल करने से इंकार कर दिया है हालांकि देश में अरहर की दाल का पर्याप्त भंडार है । खाद्य मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मध्यान भोजन योजना और कॉलेजों के हॉस्टल के मेस में खाने की सूची में अरहर दाल को शामिल करने के लिए संपर्क किया लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का मानना है कि वह देश के होस्टलों के मेस में खाने की पसंद तय नहीं कर सकती. एचआरडी मंत्रालय ने तर्क दिया कि मध्यान भोजन में अरहर दाल को शामिल किये जाने से प्रति छात्र लागत बढ़ जाएगी क्योंकि इसकी कीमत अधिक है. केंद्र ने इस वर्ष अरहर दाल के उत्पादन के संबंध में सतर्कता बरती है जिसकी कीमत पिछले वर्ष 180 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी .
कालाबाजारी के कारण अरहर की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए सरकार ने खरीद एजेंसियों को इस वर्ष दाल का भंडारण करने को कहा था. हालांकि पर्याप्त भंडार के मद्देनजर इस वर्ष कीमत गिरकर 50 रुपये से 70 रुपये प्रति किलोग्राम आ गई है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने हमसे संपर्क किया है और पूछा है कि क्या दाल के भंडार का मध्यान भोजन और कॉलेजों के हॉस्टल के मेस में उपयोग किया जा सकेगा. हालांकि इस विचार पर सहमति नहीं बन पाई है.
हाल ही में एक बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के अपने समकक्षों को बताया था कि सरकार शैक्षणिक परिसरों में भोजन के बारे में पसंद थोप नहीं सकता है. अधिकारी ने बताया कि हॉस्टल में भोजन की सूची का निर्णय प्रशासन करता है, और इसका फैसला सरकार नहीं करती है. इसलिए पसंद को थोपा नहीं जा सकता है.