तुर्की: आंतवादी संगठनों की मदद के आरोप में 14 पत्रकारों को सुनाई गई कैद की सजा

तुर्की में विपक्षी अखबार जम्हूरियत के पत्रकारों को ‘आतंकवादी संगठनों’ की मदद करने के आरोप में सजा सुनाई गई है। वहीं अखबार के संपादकों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वे “साहस के साथ पत्रकारिता” करते रहेंगे।

तुर्की की एक अदालत ने बुधवार को देश के मुख्य विपक्षी अखबार के 14 पत्रकारों को कैद की सजाएं सुनाईं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने तुर्की में पत्रकारों के साथ हो रहे सलूक की आलोचना की है। तुर्की में प्रेस की आजादी पर मंडरा रहे खतरों के बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल और रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने इस मुकदमे पर सवाल उठाए हैं।

अभियोजकों ने जम्हूरियत के 17 पत्रकारों पर ऐसे संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाया जिन्हें सरकार आतंकवादी मानती है। तीन पत्रकार बरी हो गए जबकि 14 को दोषी करार देकर सजा का एलान कर दिया गया है।

पत्रकारों पर जिन संगठनों की मदद करने के आरोप लगे हैं, उनमें प्रतिबंधित कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके), धुर वामपंथी डीएचेकेपी-सी पार्टी और गुलेन मूवमेंट शामिल हैं। सरकार 2016 में हुए नाकाम तख्तापलट के पीछे गुलेन मूवमेंट का हाथ होने का आरोप लगाती है।

जम्हूरियत के चेयरमैन अकिन अताले को 8 साल, एक महीने और 15 दिन की कैद की सजा मिली है। हालांकि सजा सुनाए जाने के वक्त भी वह जेल में ही थे। वहीं अखबार के मुख्य संपादक मुरात साबुंचु और जाने-माने खोजी पत्रकार अहमत सिक को साढ़े सात साल की सजा सुनाई गई है।

बाकी 11 लोगों को भी अलग अलग अवधि की सजाएं सुनाई गई हैं। अखबार के पूर्व संपादक चान डुनर के खिलाफ मुकदमा अलग से चलेगा। वह अभी जर्मनी में निर्वासित जीवन जी रहे हैं।

साबुंचु ने अदालत के फैसले के बाद डीडब्ल्यू से कहा, “ये (सजाएं) हमें अपने पेशे को साहस के साथ जारी रखने से नहीं रोक सकती हैं। यह तुर्की और उनकी न्याय व्यवस्था के लिए शर्मनाक है। मुझे उम्मीद है कि हाई कोर्ट में यह फैसला पलट दिया जाएगा। तुर्की में रहने वाले लोगों से मैं कहूंगा कि साहस दिखाइए।

दूसरी तरफ इंटरनेशनल प्रेस इंस्स्टीट्यूट की कारोलीन स्टॉकफोर्ड ने अदालत के फैसले पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि इस मामले में कोई सबूत नहीं थे और कोर्ट के प्रोटोकॉल का भी बार बार उल्लंघन हुआ, ऐसे में इसी तरह के फैसले की उम्मीद की जा सकती है।

विपक्षी सांसद सेजगिन तानरीकुलु ने डीडब्ल्यू से कहा, “न्याय नहीं हुआ है. पत्रकारिता और खबर पाने के लोगों के अधिकार को सजा दी गई है।