तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने कहा है कि मुस्लिम देशों को आपसी गिले शिकवे दूर करके एकजुता दिखाना चाहिए। यह बात एर्दोगन ने कल जामिया मिल्लिया इस्लामिया में डॉक्टर ऑफ लेटर्ज़ की मानद डिग्री मिलने के बाद कही।
एर्दोगन ने कहा कि मुस्लिम देश एकजुट हो जाएं तो न केवल उनकी कई समस्यायें हल हो जाएंगी बल्कि आगे बढ़ने का मौका भी मिलेगा।
इस दौरान एर्दोगन ने खिलाफत आंदोलन का जिक्र करते हुए भारतीय मुसलमानों की भूमिका को सराहा और कहा कि खिलाफत आन्दोलन में भारतीय मुसलमानों ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नेतृत्व में भरपूर आवाज उठाई थी।
उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को याद करते हुए कहा कि खिलाफत आंदोलन उनकी अगुवाई में चलाया गया था और जामिया का भी इस आंदोलन से गहरा रिश्ता रहा है।
क्योंकि जामिया के संस्थापकों का संबंध खिलाफत आंदोलन से था। उन्होंने जामिया की स्थापना को खिलाफत आंदोलन की देन करार दिया।
एर्दोगन ने सोमालिया के मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद समस्याओं को हल करने में विफल रही। इसी के साथ उन्होंने सुरक्षा परिषद के विस्तार पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ तुर्की के आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। सुल्तान अब्दुल हमीद के ज़माने से तुर्की के साथ भारत के संबंध बहुत गहरे थे।
उन्होंने विश्व मीडिया की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वह तुर्की के खिलाफ हमेशा शत्रुतापूर्ण भूमिका निभाता रहा है और गढ़े व नकारात्मक बातों को दुनिया के सामने उछाला है।