जामिया आए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान, यूनिवर्सिटी ने दी मानद डॉक्टरेट की उपाधि

तुर्की के राष्ट्रपति रीसेप तायिप एर्दोगान भारत यात्रा पर आए हुए हैं। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगान ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। इसके बाद वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मिले।

पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान एर्दोगन ने सुझाव दिया है कि कश्मीर मसले के हल और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए भारत-पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए।

बताया जा रहा है कि पीएम मोदी और एर्दोगान के बीच आर्थिक संबंधों एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर बातचीत हुई।

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान का आज राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद उन्होंने राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि आर्पित की।

गौरतलब है कि 16 अप्रैल को तुर्की में हुए जनमत संग्रह में जीत के बाद एर्दोगान ने अपना कूटनीतिक दायरा बढाना शुरू किया है। हाल ही में अपने देश में राष्ट्रपति प्रणाली के शासन पर जनमत संग्रह में जीत हासिल करने के बाद एर्दोगान तुर्की के बेहद ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं।

इस जीत के बाद यह उनका पहला विदेश दौरा है। भारत की निगाहें पाकिस्तान के भी करीबी इस देश से परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के साथ-साथ आतंकवाद पर अपने रुख के लिए समर्थन हासिल करना है। इसी वजह से एर्दोगान भारत दौरे पर आए हैं।

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान को आज जामिया मिलिया इस्लामिया के मुख्तार अहमद अंसारी सभागार में मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई।

इस मौके पर जामिया में सामाजिक विज्ञान संकाय में तुर्की भाषा और साहित्य कार्यक्रम के संस्थापक डाक्टर मोहसिन अली ने बताया कि जामिया और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुख्तार अहमद अंसारी के साथ तुर्की के बहुत पुराने संबंध थे।

डाक्टर अली के मुताबिक जब तुर्की अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था तो उस समय मुख्तार अहमद अंसारी भारत की ओर से तुर्की की जनता को मदद देने के लिए पहुंचे थे और तुर्की के प्रमुख बैंक इश की स्थापना मुख्तार अहमद अंसारी और भारत की जनता के आर्थिक सहयोग से ही हुई थी।