मिस्र: क्यों चर्चा में हैं तूतेनखामेन की रहस्यमयी कब्र, जानें क्या है किस्सा…

मिस्र से जुड़ी ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हमेशा से हैरान करती आई हैं। मिस्र दुनिया की सबसे पुरानी इंसानी बस्तियों में से एक है। मिस्रवासियों के बनाए पिरामिड पूरी दुनिया के लिए आज भी हैरानी का सबब हैं। माना जाता है कि पिरामिड वहां के राजाओं के शवों को दफनाने के लिए बनाए गए थे। उनके शवों के साथ खाने-पीने का सामान, कपड़े, गहने, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार, जानवर और कभी-कभी तो सेवक सेविकाओं को भी दफना दिया जाता था। गीजा का पिरामिड बेहद विशाल है और लंबे वक्त तक यह मानव निर्मित सबसे ऊंची संरचना रहा। कई पिरामिडों को देख कर भरोसा ही नहीं होता कि उन्हें किसी इंसान ने बनाया है। अगली स्लाइड में जानिए ममी के बारे में
मिस्र के पिरामिड और ममी में हमेशा से दुनिया भर की दिलचस्पी रही है। ममी को लेकर पश्चिमी देशों में तमाम किस्से-कहानियां चलन में हैं। इन पर कई फिल्में भी बनी हैं। ममी के बारे में और जानने के मकसद से कई तरह की रिसर्च और खोजबीन चलती रहती है।

हाल ही में प्राचीन मिस्र के राजा तूतेनखामेन को लेकर एक नई खोज की गई है। जिसके बाद मिस्र के अधिकारियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। अधिकारियों के मुताबिक तूतेनखामेन के मकबरे में कोई गुप्त कमरा नहीं है।

गुप्त कमरे में तूतेनखामेन की मां की कब्र
इससे पहले मिस्र के अधिकारी ये दावा करते रहे थे कि इस युवा राजा के 3,000 साल पुराने मकबरे की दीवार के पीछे एक गुप्त कमरा है।एक थ्योरी में कहा गया था कि तूतेनखामेन के मकबरे में एक गुप्त चेंबर है जिसमें रानी नेफरतीती का मकबरा हो सकता है। कई लोगों का मानना है कि रानी नेफरतीती तूतेनखामेन की मां थी। इस छिपे हुए मकबरे को खोजने का काम तब शुरू हुआ था, जब ब्रिटिश पुरातत्वविद निकोलस रीवेस को प्लास्टर के नीचे दरवाज़ा होने के कुछ सबूत मिले थे।

रानी की 3,000 साल पुरानी मूर्ति
2015 में छपे निकोलस रीवेस के रिसर्च पेपर ‘द बुरियल ऑफ़ नेफरतीती’ के मुताबिक़ रानी नेफरतीती के लिए भी एक छोटा मकबरा बनाया गया था और उनके अवशेष भी इसी मकबरे के अंदर हो सकते हैं।

नेफरतीती के अवशेष कभी मिल नहीं सके, लेकिन उनके बारे में जानने की कोशिश हमेशा होती रही। रानी नेफरतीती की एक तीन हज़ार साल पुरानी मूर्ति आज भी मौजूद है, जो कि प्राचीन मिस्र में उनकी पहचान को और भी पुख्ता करती है।ये भी माना जाता है कि रानी के पति फ़राओ अखानातन की मौत और उनके बेटे के गद्दी पर बैठाने के बीच का जो वक्त था उस दौरान रानी ने मिस्र पर शासन किया था।

तूतेनखामेन का मकबरा
कहा जाता है कि उन्होंने अपने पति के साथ ईसा पूर्व 1353 से लेकर ईसा पूर्व 1336 तक शासन किया था। महारानी नेफरतीती और फ़राओ अखानातेन का नाम मिस्र के प्राचीन इतिहास से इस कारण मिटा दिया गया था क्योंकि अखानातन ने अनेक मिस्री देवताओं की पूजा के स्थान पर केवल एक देवता यानी सूर्य देवता की पूजा शुरू कराई थी।

पुरातत्वविद निकोलस के सनसनीखेज पेपर सामने आने के बाद कई और भी बाते सामने आईं जिससे गुप्त कमरा होने के दावे को बल मिला। मिस्र के अधिकारियों ने भी कह दिया था कि उन्हें नब्बे फ़ीसदी तक यकीन है कि तूतेनखामेन के मकबरे में एक और गुप्त चेंबर है।

मकबरे की रिसर्च टीम के हेड डॉक्टर फ्रांसेस्को पोरसेली ने कहा, “ये बात कुछ हद तक थोड़ा निराश करने वाली है कि तूतेनखामेन के मकबरे के पीछे कुछ नहीं मिला, लेकिन दूसरी तरफ मुझे ये भी लगता है कि ये एक अच्छा विज्ञान है।”

कौन था तूतेनखामेन?

प्राचीन मिस्र के 18वें राजवंश के 11वें राजा थे। उनकी शोहरत इस बात को लेकर भी ज़्यादा है क्योंकि तूतेनखामेन की कब्र लगभग सही सलामत अवस्था में मिली थी। साल 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविद होवार्ड कार्टर ने तूतेनखामेन के मकबरे की खोज की थी।

तूतेनखामेन की जो ममी मिली थी उससे पता चला कि मौत के समय उनकी उम्र महज़ 17 साल थी। आठ या नौ साल की उम्र में उन्हें राजा की गद्दी मिल गई थी। तूतेनखामेन की मौत को लेकर अलग-अलग किस्से हैं। कोई कहता है कि उनकी हत्या की गई, तो कोई कहता है कि शिकार के दौरान घायल होने के बाद उनकी मौत हुई थी।

तूतेनखामेन का रहस्यमयी मकबरा
जब तूतेनखामेन की कब्र को खोदने का काम चल रहा था, उस दौरान इस मिशन से जुड़े कई लोगों की मौत की खबर आई थी। पुरातत्वविद होवार्ड का ये मिशन 1922 के दौरान चल रहा था। इसे ‘वैली ऑफ किंग्स’ की खोज कहा गया था।

जब कई लोगों की संदिग्ध मौत के बाद इस मिशन में पैसे लगाने वाले ब्रिटिश रईस लॉर्ड कार्नारवॉन की भी मच्छर काटने से मौत हो गई, तो इसे फराओ तूतनखामेन के श्राप का नतीजा बताया गया।