VIDEO- अब यूएन ने की नक्सल से संबंध रखने के आरोपी प्रोफेसर को छोड़ने की मांग

हाल ही में यूनाइटेड नेशन ऑफिस ऑफ़ हाई कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स ने कश्मीर मामले पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट पर खूब हंगामा हुआ था। अब एक बार फिर यूएन ने भारत के अंदरूनी मामलो में दखल दी है ओर्र इस बार सरकार से नक्सल समर्थक प्रोफेसर को छोड़ने की मांग की है।

गुरुवार को एक ट्वीट कर संयुक्त यूएन ने लिखा कि संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ भारत से अपील करते है कि वह स्वास्थय के आधार पर मानवाधिकार संरक्षक डॉ. जीएन साईंबाबा, जो कि वीलचेयर पर है उन्हें रिहा करें। यूएन ने एक पत्र में भारत से कहा कि जीएन साईंबाबा की हालत दिनों-दिन ख़राब होती जा रही है। हम उनकी सेहत को लेकर चिंतित है। वह 15 से अधिक विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और वह बहुत घातक है।

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पत्र में यह भी कहा गया कि जेल में ख़राब, अप्रशिक्षित स्टाफ और कैदियों की ज़्यादा संख्या के कारण जीएन साईंबाबा की हालत और ज़्यादा ख़राब हो रही है। उन्हें तुरंत ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। इस पत्र में कहा गया कि डॉ। सैबाबा कॉर्पोरेट हितों के खिलाफ भारत में विभिन्न अल्पसंख्यकों के अधिकारों का दीर्घकालिक बचावकर्ता है। उन्हें 2014 में गिरफ्तार किया गया था और 2017 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। ब उन्हें नागपुर जेल में अंधेरे में और अपर्याप्त और अपर्याप्त सुविधाओं के साथ रखा जाता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मार्च 2017 में, डॉ सैबाबा को अन्य आरोपों के साथ “राज्य के खिलाफ युद्ध करने” के लिए जीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। फैसला यह सभीत करने में असफल रहा था कि साईंबाबा किसी भी लगाए गये आरोपो में शामिल थे। आपको बता दें कि डॉ. जीएन साईंबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे है और वर्ष 2014 में उन्हें नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।