जम्मू कश्मीर : दुनिया में बच्चों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की जनवरी 2017 से दिसंबर 2017 तक की रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जम्मू-कश्मीर में बच्चों को भर्ती कर अपनी ढाल बना रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले साल जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन बच्चों का इस्तेमाल किया था ।
रिपोर्ट में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन द्वारा बच्चों की भर्ती और उनके इस्तेमाल की तीन घटनाएं सामने आईं। आतंकवादी मुठभेड़ के दौरान बच्चों को ढाल बना रहे हैं। सुरक्षा बलों द्वारा बच्चों को मुखबिर के तौर पर इस्तेमाल करने के भी संकेत मिले हैं। वहीं नक्सलियों द्वारा खासकर छत्तीसगढ़ और झारखंड में बच्चों की जबरन भर्ती के लिए लॉटरी प्रक्रिया अपनाने का काम जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सशस्त्र संगठनों व सरकारी बलों के बीच होने वाली हिंसक घटनाओं में बच्चों का प्रभावित होना नहीं रुका है। इस पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने बच्चों को भर्ती करने वालों को पकड़ने के लिए भारत की सरकार से कदम उठाने को कहा है।
संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक ‘चिल्ड्रन एंड आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट’ रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में बाल अधिकारों के हनन के कुल 21,000 से ज्यादा मामले सामने आए, जो 2016 की तुलना में बहुत ज्यादा थे। पिछले साल दुनिया भर में हुए सशस्त्र संघर्षों में 10,000 से ज्यादा बच्चे मारे गए या विकलांगता का शिकार हुए। जबकि 8,000 से ज्यादा बच्चों को लड़ाकुओं के तौर पर भर्ती किया गया या उनका इस्तेमाल किया गया। साथ ही अनगिनत बच्चे बलात्कार के शिकार हुए। रिपोर्ट में जिन बच्चों के हताहत होने की बात कही गई है वे यमन या दूसरे देशों के गृहयुद्ध में बाल सैनिक के तौर पर लड़ने वाले 11 साल तक की उम्र के बच्चे थे। रिपोर्ट में भारत, फिलीपींस और नाईजीरिया समेत 20 देशों को शामिल किया गया।
पाकिस्तान के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र को पाकिस्तान में सशस्त्र समूहों द्वारा बच्चों की भर्ती किए जाने और उनका इस्तेमाल आत्मघाती हमलों के लिए किए जाने के आरोपों को लेकर लगातार खबरें मिलती रही हैं। इनमें मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, बाल अधिकारों के हनन के ज्यादातर मामले इराक, म्यांमार, मध्य अफ्रीकी गणराज्य , कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण सूडान, सीरिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और यमन के हैं। अकेले यमन में इस साल 1300 से अधिक बच्चों की जान गई या वे घायल हुए।