ऊना काण्ड के पीड़ितों ने कहा- राष्ट्रपति कोई भी बने, गौरक्षकों का ख़तरा दलितों पर हमेशा मंडराएगा

taराष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रामनाथ कोविंद को गरीब दलित परिवार में पैदा हुए पार्टी का वरिष्ठ नेता बताया था।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति उमीदवार का एलान करते हुए मीरा कुमार का नाम सामने रखा। उन्होंने कहा कि उन्हें “गर्व” है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर विपक्ष की पसंद “दलित” नेता हैं।

लेकिन बालू सरवैया दोनों ही उम्मीदवारों को दलितों का प्रतिनिधि नहीं मानते।

बता दें कि पिछले साल गुजरात के ऊना में हुए दलित हत्याकांड में उनके दो बेटों और भतीजों की कथित गौरक्षकों ने पिटाई कर दी थी। जिसके बाद दलितों ने सरकार के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन किया था और गुजरात की सीएम आनंदी बेन को इस्तीफा देना पड़ा था।

47 साल के बालू सरवैया बुद्ध, बीआर अंबेडकर और बसपा प्रमुख मायावती की तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, “वो जैसी भी हों हम मायावती के साथ हैं।”

बालू सरवैया अन्य 50 दलितों के साथ अपने गांव से 30 किलोमीटर दूर एक बसपा की एक बैठक में शामिल होने आये हैं। आज तक हमें पता चला कि प्रतिभा पाटिल की जाति क्या थी? या प्रणब मुखर्जी की?

ऊना हत्याकांड मामले में पीड़ित बालू ने बताया कि उनका परिवार बौद्ध धर्म अपनाना चाहता है लेकिन उन्हें डर है कि उन लोगों पर फिर से हमला हो सकता है। उस घटना के बाद हमने चमड़ा उतारने का काम छोड़ दिया है। लेकिन गौरक्षकों का डर बना हुआ है।

बालू करीब 20 साल तक बीजेपी से जुड़े रहे। बालू के अनुसार वो हर चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार करते थे। लेकिन अब उनका बीजेपी से मोहभंग हो चुका है।