UGC के नए नियम के तहत अब कॉलेज में पढ़ाने के लिए पीएचडी होना जरूरी

नई दिल्ली: सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध को बढ़ावा और गुणवत्ता में सुधार के लिए पहली बार कॉलेज और यूनिवर्सिटी शिक्षकों की भर्ती के लिए अलग नियम व मापदंड तय किए हैं। यूजीसी ने 2021 से उच्च शिक्षा में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पीएचडी अनिवार्य बनाने के नए नियम लागू कर दिए हैं। नए नियमों में एसोसिएट प्रोफेसरों को कॉलेजों में प्रोफेसरों को पदोन्नत करने का प्रावधान भी है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि पीएचडी डिग्री 1 जुलाई, 2021 से विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसरों के पदों पर भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य होगी। हालांकि कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के पद पर भर्ती के लिए न्यूनतम पात्रता नेट या पीएचडी के साथ परास्नातक होगी। जबकि एपीआई में भी बदलाव किया है, जिसमें अब कॉलेज शिक्षकों को प्रमोशन के लिए रिसर्च नहीं करना होगा।

प्रकाश जावड़ेकर ने नए नियमों के बारे में बताते हुए कहा कि नेट और मॉस्टर डिग्री के आधार पर कॉलेजों में पहले की तरह शिक्षक बन सकते हैं। लेकिन यदि कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद पर तैनात शिक्षक को प्रमोशन चाहिए तो इसके लिए पीएचडी अनिवार्य होगी। जबकि यूनिवर्सिटी में जाकर यदि कोई कॉलेज शिक्षक सेवा देना चाहता होगा तो इसके लिए भी पीएचडी अनिवार्य होगी।

प्रकाश जावड़ेकर ने आआगे बताया कि साल 2010 के नियमों में शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन आदि के संशोधन को कायम रखा गया है। इनमें एम.फिल/पीएचडी के लिए प्रोत्साहन भी शामिल हैं। शोध आउटपुट में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों के लिए एक नया सरलीकृत शिक्षक मूल्यांकन ग्रेडिंग सिस्टम पेश किया गया है और अनुसंधान स्कोर जोड़ा गया है।

उन्होंने कहा कि पीएचडी डिग्री धारकों के लिए टॉप 500 ग्लोबल रैंकिंग के विश्वविद्यालय या संस्थान से सहायक प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विशेष प्रावधान है। जबकि नए भर्ती सहायक प्रोफेसरों के लिए एक महीने का इंडक्शन प्रोग्राम जरूरी है।