नई दिल्ली: यूपीएससी कैडर की ओर से यूपीएससी कैडर ट्रेनिंग की आधार पर देने के लिए भेजे गए पत्र का विरोध शुरू हो गया है। खास तौर से मुस्लिम अल्पसंख्यक सरकार के इस कदम को असंवैधानिक बता रही है।
Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये
गौरतलब है कि पीएमओ ने हाल ही में एक पत्र जारी किया है जिसमें यूपीएससी रैंकिंग के बजाय प्रशिक्षण के आधार पर कैडर देने की बात कही गई है। सरकार के इस पत्र पर यूपीएससी फ़िलहाल मशवरा कर रहा है।
पीएमओ के इस पत्र के विरोध का सिलसिला शुरू हो गया है। मुस्लिम उम्मीदवारों को कोचिंग की सुविधा प्राप्त करने वाली जकात फाउंडेशन का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह हाईकोर्ट का भी दरवाज़ा खटखटाएगी। फाउंडेशन के चेयरमैन सैयद जफर महमूद ने उसको यूपीएससी का मजाक करार दिया है। वहीं समाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशिमी का कहना है कि यह बेहद खतरनाक है।
उल्लेखनीय है कि यूपीएससी के परिणामों में सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी जैसी कटेगरियां हैं और जिनमें रैंकिंग के आधार पर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसी सेवाओं के लिए चयन किया जाता है। लेकिन अगर यूपीएससी की अहमियत खत्म हो गई तो एससी, एसटी और ओबीसी की रैंकिंग व्यर्थ हो जाएंगी। यही कारण है कि कई सामाजिक कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं।