UPSC: मिल्लत की जरखेज मिट्टी को नम करना है

सिविल सर्विसेज़ में मुसलमानों की प्रतिनिधित्व 2.5-3 फीसद पर स्थिर रहने का तिलस्म टूट गया और अब यह आंकड़े 5 में बदल गया है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

लगातार दो साल 50 से अधिक मुसलमानों के सिविल सर्विसेज में कामयाबी से लगता है कि पिछले दस साल के दौरान टीवी व रेडियो पर सकरात्मक बातचीत, अख़बारों पोर्टलों पर विभिन्न भाषाओं में छपे लेख, 33 स्थानों पर सिविल सर्विसेज़ ओरिएण्टेशन प्रोग्रामों में एक घंटे के पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के जरिये दसियों हज़ार ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट मुस्लिम नौजवानों से ख़िताब करने, उनके सवालों के जवाब देने और उनमें से चयनित उम्मीदवारों को संतुष्ट करके उन्हें दिल्ली में देश के कामयाब सिविल सर्विसेज संस्थानों में कोचिंग करवाने का प्रभाव अलहम्दुलिल्ल्हा शुरू हो गया।

सराहनीय हैं कई संगठनें व संस्थानों जिनके जरिये सिविल सर्विसेज़ से संबंधित सहुलतें स्थापित क़ायम की गईं। लेकिन हमें होशियार रहना होगा और उन ताज़ा नतीजे की बिना पर हमें आत्मसंतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। जनगणना 2011 के मुताबिक देश में मुसलमान 14.2 फीसद हैं, लिहाज़ा इतना अनुपात तो हमारा होना ही चाहिए सिविल सर्विसेज़ में। इसके लिए हमें पिछले दस साल में अबतक की गई मेहनत की तीन गुणा तक शुरू कर देनी होगी।