दक्षिणपंथी ताकतों से लोहा लेने वाली निडर महिला पत्रकार गौरी लंकेश की कल बेंगलूरु में कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी।
इस हत्याकांड की देश भर में निंदा हो रही है। राजनेताओं के अलावा, पत्रकारों, समाजसेवियों और फिल्मी दुनिया से जुड़ी हस्तियों तक ने इस हत्या की कड़े शब्दों में आलोचना की है और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किए जाने की मांग की है।
वहीं, अमेरिका ने भी इस हत्याकांड को प्रेस की आजादी के लिए ख़तरा बताया है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से बुधवार(6 सितंबर) को जारी बयान में प्रेस की आज़ादी का हवाला देते हुए इस वारदात को निंदनीय बताया गया है।
अमेरिकी दूतावास ने लंकेश हत्याकांड पर दुख व्यक्त करते हुये पीड़ित परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की। अमेरिका के इस बयान के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ख़ामोशी पर सवाल उठने लगे हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि अमेरिका ने भी इस घटना के लिए आधिकारिक बयान जारी कर दिया लेकिन पीएम मोदी की इस हत्याकांड पर खामोशी सवाल खड़े करती है, आख़िर प्रधानमंत्री इस घटना पर क्यों नहीं बोलना चाहते?
ग़ौरतलब है कि गौरी लंकेश वही पत्रकार हैं जिन्होंने लेखिका राणा अयूब की किताब गुजरात फाइल्स का कन्नड़ में अनुवाद भी किया था। गुजरात फाइल्स वो किताब है जिसमें गुजरात दंगों में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का ज़िक्र किया गया है।