देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता से मन दुखी होता है: उस्ताद अमजद अली खान

जाने-माने सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता पर चिंता ज़ाहिर की है। उन्होंने मंबई में अपनी किताब ‘मास्टर ऑन मास्टर्स’ के विमोचन के मौके पर कहा कि यह दुखद है कि लोग एक-दूसरे का हमदर्द बनने के बजाए मंदिर और मस्जिद बनाने पर बात कर रहे हैं।

सवाल कि क्या प्रवासी भारतीय अतीत के सांस्कृतिक संदर्भों में उलझे हुए हैं, पर उन्होंने कहा कि वे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, लेकिन बेहद शिक्षित होने के बावजूद वे कट्टरपंथी भी हो सकते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं यह देखकर बेहद दुखी हूं कि प्रवासी हों या शिक्षित भारतीय, सभी मंदिर और मस्जिदों को बनाने की बात कर रहे हैं। कुछ प्रवासी भावनात्मक रूप से हमारी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े हैं। लेकिन कुछ भारतीय अप्रवासी बेहद कट्टर हैं हालांकि वे बेहद शिक्षित हैं।”

बता दें कि उस्ताद अमजद अली खान को कला और संगीत के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए साल 1975 में पद्मश्री, 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1989 तानसेन सम्मान,1991 में पद्म भूषण और साल 2001 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।