उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने परोक्ष तरीके से लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के चुनाव प्रचार का बिगुल फूंक दिया है। 15वीं शताब्दी के संत कवि कबीर के अंतिम स्थान मगहर में उन्होंने बड़ी रैली की। इस रैली में हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल थे। इस रैली का एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी रहा। इस रैली में कबीर के जरिए यह जताने की कोशिश की गई कि पार्टी जाति और मजहब से ऊपर उठकर काम करती है।
इस रैली में रोचक रहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर हमला बोला लेकिन बीएसपी का नाम तक नहीं लिया। अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी मायावती और अखिलेश को दूर रखना चाहती है। अगर बीएसपी अकेले रहती है या बीजेपी के करीब आती है तो सत्तारूढ़ पार्टी को उत्तर प्रदेश में बड़ा फायदा मिल सकता है।
यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों के साथ लोकसभा चुनाव को भी जल्दी कराया जा सकता है। उत्तर प्रदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी के एक चौथाई सांसद उत्तर प्रदेश से आते हैं और पिछले आम चुनाव में इसे 42 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।
मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 403 में से 312 सीटें जीतकर बड़ी जीत हासिल की। हालांकि मई में हुए उपचुनाव में नूरपुर विधानसभा सीट और कैराना लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी दल बीजेपी को पछाड़ने के लिए दलित और मुस्लिम वोट पर आंख गड़ाए हैं।
एसपी और बीएसपी का गठबंधन बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में बड़ा खतरा बन सकता है। कबीर के जरिए मोदी ने यह बताने की कोशिश की, बीजेपी जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर है। हालांकि सवर्ण हिंदू मतदाता आक्रामक रुख पसंद करते हैं।
भाजपा के समर्थक और स्थानीय गन्ना सहकारिता समूह के अध्यक्ष कृपाल सिंह ने कहा, ‘कबीर से हमारा कोई मतभेद नहीं है। प्रधानमंत्री जाति-धर्म से ऊपर उठने की बात करते हैं वह भी ठीक है लेकिन वह दलित और मुस्लिम वोट को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। यह काम नहीं आएगा।’
प्रदेश में पुलिस को अपराधियों से निपटने के लिए खुली छूट दी गई है। इसके बाद कई एनकाउंटर हुए। मानवाधिकार आयोग ने सरकार को फरवरी में नोटिस भेजकर कहा कि राज्य की पुलिस यह छूट पाकर इसका दुरुपयोग कर रही है। 2 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पुलिस एनकाउंटर में हुईं 49 मौतों और 270 लोगों के घायल होने पर जवाब मांगा।
प्रदेश के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि अब पार्टी केवल एक चुनाव जीतने वाली मशीन बनकर रह गई है। इसने रिश्तों की अहमियत खत्म कर दी है। योगी आदित्यनाथ और हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्होंने संगठन से दूरी बना ली है।
हिंदू युवा वाहिनी को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले एक सूत्र ने कहा कि जो युवा आदित्यनाथ के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद वह उन्हें भी भाव नहीं दे रहे हैं। मध्य जून में राज्य सरकार ने फुल पेज ऐडवर्टीजमेंट में अपनी उपलब्धियां गिनाईं।
इनमें से अधिकतर केंद्र द्वारा स्पॉन्सर्ड स्कीम थीं। इनकी अपनी उपलब्धि में 36,000 करोड़ी की कर्ज माफी और गेंहूं की रेकॉर्ड खरीद शामिल थी। सहारनपुर की भीम आर्मी एक आक्रामक दलित समूह बनकर उभरा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरिद्वार में इसके 350 से ज्यादा स्कूल चलते हैं।
इसके राष्ट्रीय अधिकारी विनय रतन सिंह का कहना है कि उनके स्कूल में ज्यादा बच्चे आते हैं क्योंकि यहां की शिक्षा में गुणवत्ता है। उनका कहना है कि बीजेपी और संघ अपने स्कूलों में घृणा सिखाते हैं। मई 2017 में सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों में हिंसा हुई।
(साभार : इकनॉमिक टाइम्स)