वाजपेयी जी को हिन्दुस्तान को आगे ले जाने की बेचैनी थी : एस.एम.खान

पूर्व राष्ट्रपति दिवगंत एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव रहे एसएम खान ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से मेरा सम्बन्ध उस समय से था जब में 13 साल का था और नौवीं कक्षा में पढता था। उस समय वाजपेयी जी मेरे आबाई शहर खुर्जा आये थे।

मेरे ताऊजी मरहूम आफ़ताब मोहम्मद खान शहर के बावकार समाजसेवी और सियासी हस्ती हुआ करते थे। वाजपेयी जी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में मेरे ताऊजी को भी चाय पर आमंत्रित किया था।

YouTube video

इस कार्यक्रम में 500 से भी ज्यादा लोगों ने शिरकत की थी। इसी दिन अटल जी उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनावों में हिस्सा लेने की घोषणा करने वाले थे।

इस दौरान उनका भाषण हुआ जिसमें मैंने भी शिरकत की थी। इस कार्यक्रम का जिक्र मैंने इसलिए किया क्योंकि इस दिन वाजपेयी जी हमारे घर आये थे जहां उनके ग्वालियर वाले स्कूल में शिक्षक रहे रियाजुद्दीन साब से काफी दिनों के बाद भेंट हुई और रियाज़ साब की उपस्थिति का अटल जी से कोई ज़िक्र हमने नहीं किया था।

वहां वाजपेयी जी ने अचानक रियाजुद्दीन साब को देखा तो पहले उनके पांव छुए और फिर कहा कि आप यहां? काफी दिनों बाद हुई मुलाकात के बाद दोनों ने लम्बी बातचीत की।

1983 में वाजपेयी जी से उस समय मेरी मुलाकात हुई जब में दिल्ली गया था लेकिन मुसलसल राब्ता तब हुआ जब साल 2002 में जब मैं पूर्व राष्ट्रपति दिवगंत एपीजे अब्दुल कलाम का प्रेस सचिव बना।

फिर तो मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा। मैं जब ही वाजपेयी जी से मिला और बात करने का अवसर मिला तो उनके अंदर हिन्दुस्तान को आगे ले जाने की बेचैनी थी। वो हमेशा कहा करते थे कि कोई भी काम सबको साथ लेकर ही हो सकता है।

उन्होंने अपने सरकारी आवास पर ईद मिलन कार्यक्रम भी आयोजित किया था जिसमें पूर्व राष्ट्रपति दिवगंत एपीजे अब्दुल कलाम समेत अनेक हस्ती शामिल हुईं थीं। वाजपेयी जी ने लोगों को इस मौके पर ईद की बधाई दी थी। वाजपेयी जी के सम्मान में यह शेर नज़र है।

हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-ए-वर पैदा।

(लेखक एसएम खान पूर्व राष्ट्रपति दिवगंत एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव रहे हैं)