एक अरबपति पिता के बेटे होने पर भी 500 रुपये से शुरुआत की। दरसल घनश्याम ढोलकिया गरीबी, पैसे के मूल्य और बेरोजगार युवकों के सभी लोगों की संख्या को समझने के उन्होंने अपने बेटे के लिए ऐसा कदम उठाया। ताकि दुनिया की असली तस्वीर को वो पहचान सके।
23 वर्षीय हितार्थ ढोलकिया 6,000 करोड़ रुपये के हरे कृष्णा डायमंड एक्सपोर्ट्स के संस्थापक घनश्याम ढोलकिया का सातवां पुत्र है। जिनकी 71 देशों में आउटलेट और फ्रेंचीजीस है। हितार्थ ने विदेश में अपनी पढाई पूरी की।
उनके पिता ने उन्हें एक महीने के लिए उन्हें हैदराबाद में सभी सुविधाओं के बिना ज़िन्दगी जीने के लिए कहा है यहाँ तक की ढोलकिया टैग और एक मोबाइल फोन तक इस्तेमाल करने की मनाही है।
हितार्थ ने बताया कि मेरे पिता ने मुझसे कहा कि मैं अपनी पहचान किसी को भी नहीं बताऊं, और एक सप्ताह से भी ज्यादा समय तक एक ही काम में नहीं रहूँगा। मोबाइल फोन नहीं है, मैं मदद के लिए रिश्तेदारों या दोस्तों से संपर्क नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि अपने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी एमबीए करने के दौरान तीन शहरों के बारे में जानकारी एकत्र की और पर्यटन काउंटर पर उपलब्ध जानकारी ब्रोशर के आधार पर यहां आएं। इसके बाद उन्होंने शामशाबाद से सिकंदराबाद से हवाई अड्डे पर आने के बाद बस से सफर किया। हालांकि इससे पहले वो कभी भी जीवन काल यात्रा में बस से यात्रा नहीं किये हैं।
हितार्थ ने सिकंदराबाद में एक सस्ते छात्रावास में आवास में रहे हैं। उन्होंने होटल के मैनेजर से कहा था कि मैं शहर के नौकरी की खोज के लिए गुजरात के एक गरीब किसान का बेटा हूं। वह दयालु था और मेरी दुर्दशा कर मैक डोनाल्ड भोजनालय में अपनी पहली नौकरी की लगवा दी।
एक अरबपति के बेटे ने किराए पर कमरे में सहकर्मियों के साथ बिस्तर साझा किए, सड़क के किनारे खाने वाले नाश्ते पर नाश्ता और दोपहर का भोजन किया और स्थानीय बसों में यात्रा की।
हितरथ ने कहा की जब वो घर से चलें थें उनके पास 500 रुपये थें आज उससे पांच हज़ार बनाये। उन्होंने आगे कहा की उनका ये अनुभव आगे समयों में मददगार होगा, जो एक व्यवसायी व्यक्ति के रूप में अनुभव के तौर पर हमेशा साथ रहेगा।