अयोध्या विवाद पर समझौते का नया फॉर्मूला सुझाने वाले और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से निष्कासित मौलाना सलमान नदवी ने अपना रूख पलटते हुए आज कहा कि वह इस मामले में अदालत के फैसले का इंतजार करेंगे।

नदवी ने कहा कि अयोध्या का मामला उसके पक्षकार ही सुलझायें तो बेहतर है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कही।
गौरतलब है कि वह पहले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के साथ मिलकर कोर्ट के बाहर मसले का हल तलाश करने की बात कर रहे थे। नदवी ने आज कहा कि ”अयोध्या मसले में हम कोई पक्षकार नहीं हैं।
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को हमने अपने एजेंडे से निकाल दिया है, अयोध्या मसले के जो पक्षकार हैं वो इसे खुद सुलझाएं।
इस मसले को बाहर सुलझाने के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड तैयार नही है, न ही कोई अन्य पक्ष फिर बाहरी लोगो से बात करने से क्या फायदा।
मैं इस मामले में पक्षकार नही हूं इसलिये अब मै इस मामले से मै अपने को अलग कर रहा हूं।” उन्होंने कहा कि अब वह इस मामले पर नही बोलेंगे और अदालत के फैसले का इंतजार करेंगे।
गौरतलब है कि कल श्री श्री रविशंकर ने लखनऊ में मौलाना से मुलाकात की थी। रविशंकर ने बाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि ”हमारा प्रयत्न जारी है, सफलता की ओर चल रहे है सब तरफ से बहुत ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, आगे और कार्यक्रम करेंगे।
देश में दोनो समुदायों के बीच सौहार्द बना रहे, प्रेम बना रहे और भव्य रूप से राम मंदिर का निर्माण हो, इस बारे में हम लोग बात कर रहे है।”
उनसे कल जब पूछा गया था कि उनकी आज क्या बात हुई इस पर उन्होंने कहा कि ”हम और लोगों से भी बात कर रहे हैं। इस लिये हम यहां हैं। यह ठीक दिशा है।
हम लोगों को साथ ला रहे हैं ताकि आम सहमति बन सके। मुस्लिम समुदाय से हमें भरपूर समर्थन मिल रहा है जो कि काफी उत्साहवर्धक है।”
मदनी से आज जब पूछा गया कि रविशंकर तो लोगों के समर्थन की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि जिन लोगों से समर्थन की बात कही जा रही है वे न तो पक्षकार हैं न ही सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य। ऐसे लोगों से बात करने से क्या फायदा।
अयोध्या मामले को अदालत से बाहर सुलझाने की पहल करने वाले नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया है।