राजस्थान के पोखरण में आज सुबह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का सफल परीक्षण किया गया। यह पहली बार है जब किसी मिसाइल का परीक्षण एक भारतीय-निर्मित साधक के साथ किया गया है।
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बता दें कि इससे पहले सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का आखिरी परीक्षण नवंबर 2017 में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू, सुखोई -30 एमकेआई के साथ किया गया था।
बता दें, इससे पहले भी ब्रह्मोस का सफल परीक्षण हो चुका है। पिछले साल नवंबर में ब्रह्मोस को फाइटर जेट सुखोई से दागा गया था, जो कि सफल रहा था।
सूखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी को डेडली कांबिनेशन भी कहा जाता है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो 290 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकता है। सूखाई-30 फुल टैंक ईंधन के साथ 2500 किलोमीटर तक मार कर सकता है।
ब्रह्मोस का निशाना अचूक है। इसलिए इसे ‘दागो और भूल जाओ’ मिसाइल भी कहा जाता है। दुनिया की कोई भी मिसाइल तेज गति से हमले के मामले में इसकी बराबरी नहीं कर सकती। यहां तक कि अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके मुकाबले नहीं ठहरती।