VIDEO: इस्लाम में माँ-बाप की ख़िदमत और एहमियत!

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) ने हमें बताया कि हमें हर समय अल्लाह और उसके पैगम्बर का पालन करना चाहिए। लेकिन उनके बाद उन्होंने और किससे ज्यादा नजदीकी और प्यार करने के लिए कहा है। इसका जवाब है: आपकी माँ!

दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाए।

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने वाल्दैन के साथ हुस्ने सुलूक और एहसान के साथ जिस तफ़्सील का ज़िक्र किया है इसमें ज़बान को बुनियादी हैसियत हासिल है चुनांचे इरशाद फ़रमाया हैः इन दोनों (वालदैन) में से किसी को भी उफ़ तक ना कहो। बल्कि उनसे अच्छी बात कहो।

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इंसानी ज़िंदगी के किसी भी पहलू को ग़ैर अहम क़रार नहीं दिया। हज़रत अब्बू हुरैरा रज़िअल्लाहू अन्हू से मर्वी है कि एक सहाबी ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से दरयाफ़्त किया कि दुनिया में मुझ पर सबसे ज़्यादा हक़ किस का है यानी मेरे हुस्ने सुलूक का सबसे ज़्यादा मुस्तहिक़ कौन है तो आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तुम्हारी माँ। सहाबी ने यही सवाल तीन मर्तबा दुहराया और तीनों मर्तबा आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने यही जवाब दिया कि तुम्हारे हुस्ने सुलूक की सबसे ज़्यादा मुस्तहिक़ तुम्हारी माँ है। चौथी मर्तबा आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम्हारा बाप।