गुजरात के पटेल आरक्षण आंदोलन जैसी ही डिमांड लेकर हरियाणा का जाट आंदोलन शुरू हुआ था. आंदोलन की शुरुआत में ही यह ऐलान किया गया था कि सरकार या तो जाटों को आरक्षण दे या फिर बाकी सभी पिछड़ी जातियों का आरक्षण रद्द करे.
इसी डिमांड के साथ जाट आंदोलन दस दिनों तक चला, जिनमें आखिर के 3-4 दिन बेहद तनावपूर्ण रहे. लेकिन हरियाणा में जमीनी स्तर पर काम कर रहे जाट युवा प्रतिनिधियों ने अब अपनी डिमांड और आंदोलन के नारों में थोड़ा बदलाव किया है.
उनका कहना है कि जाट हमेशा से ‘मनुवादी समुदायों’ के समर्थक रहे, पर उन्होंने जाटों के साथ विश्वासघात किया. इसलिए वे अब खेतीहर बिरादरियों को एकजुट करने का काम करेंगे. साथ ही दलितों और मुसलमानों को अपने साथ एक मंच पर लाकर भाईचारा कायम करेंगे. इस बदलाव को जाटों के रुख में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है.
इस मामले में हरियाणा की खाप पंचायतें भी जल्द कोई अहम फैसला कर सकती हैं. देखिए यह वीडियो.
साभार: Thequint
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