न्यूजीलैंड में शुक्रवार को दो मस्जिदों पर हुए हमले की दुनियाभर में लाइव स्ट्रीमिंग (लाइव वीडियो) की गई। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी हिंसा को ऐसे इंटरनेट पर वायरल किया गया हो। ऐसी हिंसक वीडियो को ऑनलाइन शेयर होने से रोकना वर्षों के निवेश के बाद भी टेक कंपनियों के लिए मुसीबत बना हुआ है।

राइटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक हमलावर ने मस्जिद पर हमला करते समय 17 मिनट का लाइव वीडियो बनाया। वहीं फेसबुक का कहना है कि न्यूजीलैंड पुलिस से पता चलने के बाद उन्होंने लाइव वीडियो हटा दिया।
https://twitter.com/PressTV/status/1106462502739677184?s=19
लेकिन कुछ घंटों बाद भी वीडियो फुटेज फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और फेसबुक के इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर मौजूद थी। साथ ही वीडियो फाइल-शेयरिंग वेबसाइट पर भी मौजूद थी।
This is the man charged with murder after the attacks in New Zealand.
Sky News has decided not to show the video of the attack, however this is an image from it where he identifies himself. On social media he calls himself Brenton Tarrant.
Follow live: https://t.co/drTyTuU17l pic.twitter.com/NdkajrVmO7
— SkyNews (@SkyNews) March 15, 2019
जो लोग इस वीडियो को शेयर करना चाहते थे उन्होंने मिनटों में इसे कई एप्स और वेबसाइट पर डाल दिया। फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और मेगा का कहना है कि वह हमले से जुड़ी सामग्री को हटाएंगे।
https://youtu.be/dTHFtUcHJT4
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी अपराध को करते वक्त अपराधी ने उसका लाइव वीडियो बनाया है। इससे पहले थाईलैंड में एक पिता ने 2017 में अपनी बेटी की हत्या करते वक्त फेसबुक पर लाइव वीडियो बनाया था। घटना के एक दिन बाद वीडियो पर तीन लाख सत्तर हजार व्यूज थे। बाद में फेसबुक ने वीडियो हटा दिया।
अमेरिका के शिकागो में 18 वर्षीय लड़के को भी कुछ एंटी वाइट लोगों ने 2017 में प्रताड़ित किया था और उसका लाइव वीडियो बनाया था। उसी साल कई अन्य घटनाओं को करते हुए भी हमलावरों ने ऐसे ही वीडियो बनाए थे।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, फेसबुक के दुनियाभर में करीब 230 करोड़ यूजर्स हैं। उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फेसबुक ने अपनी सेफ्टी एंड सिक्योरिटी टीम का आकार भी काफी बड़ा कर लिया है।
अपराध से जुड़ी सामग्री का पता लगाने के लिए फेसबुक नई तकनीकों पर ध्यान दे रहा है। लेकिन इस सबके पीछे टेक कंपनियों को ही जिम्मेदार बताया जाता है।
न्यूजीलैंड हमले के बाद वहां की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क का कहना है कि नफसर फैलाने वाली सामग्री को हटाने में टेक कंपनी की गति धीमी है। वहीं अगर देखा जाए तो इसके लिए वो लोग भी जिम्मेदार हैं जो ऐसी वीडियो को शेयर कर हिंसा बढ़ाने का काम करते हैं।