मोहम्मद PBUH ने फ़रमाया कि “ऐ आयशा (रज़ि) तुम जानती हो इस रात (शबे बरात) में क्या होता है? उसने पूछा या रसूलुल्लाह PBUH आप बताइये कि उस रात (शबे बरात)में क्या होता है. आप ने फ़रमाया कि उस रात में यह होता है कि आदम अलैहिस सलाम की औलाद में से जो आदमी इस साल पैदा होगा और जो इस साल में मरेगा, उसका मरना और पैदा होना लिखा जाता है और फ़रिश्ते उन कामों पर तैनात हैं.
उनको खबर दी जाती है कि और जितना रोज़ी बंदे को इस साल मिलेगा सब लिखा जाता है और इस शाबान की पन्द्रहवीं रात अल्लाह तआला सूरज डूबते ही इस दुनियां के आसमान पर आ जाते हैं और कहते हैं कि कोई नेक बन्दा ऐसा है जो हम से बखशिश मांगे तो हम उसको बख्श दें, कोई रोज़ी मांगे तो हम उसको रोज़ी दें, कोई मुसीबत का मारा दुआ करे तो उसकी मुसीबत दूर करें.
इसी तरह सुबह होने तक कहते हैं, बबस बन्दों को चाहिए कि इस रात को खूब इबादत करें और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें और शाबान की पन्द्रहवीं तारीख को रोज़ा रखें और अल्लाह तआला इस रात में अपने अनगिनत बन्दों को माफ़ करता है, मगर काफ़िर,मुशरिक, कीना रखने वाले को और क़ातिल को माफ़ नहीं करता. (मिश्कात शरीफ)