देवबंद। मुसलमानों और इस्लाम की बदनुमा छवि बनाकर दुनिया को पेश करने में दुनिया की ज्यादातर मीडिया मसाला लगाकर खबरें चलाने में कभी पीछे नहीं रहती है। इस वक्त मामला सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर और विडियो के अपलोड से जुड़ा हुआ है।

एक व्यक्ति ने दारूल उलूम के फतवा विभाग से सवाल किया था कि ‘क्या पुरुषों को अपनी महिलाओं के साथ व्हाट्सएप, ट्विटर और फेसबुक पर फोटो डालना जायज है?’
इसके जवाब में दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी का कहना है कि इस्लाम में फोटो शूट करवाना और उसका अनावश्यक उपयोग करना सही नहीं है।
कानूनी जरूरतों के लिए जैसे पासपोर्ट, स्कूल, कॉलेज आदि में एडमिशन और अन्य आवश्यक मामलों में तस्वीर का उपयोग सही है लेकिन मनोरंजन और फैशन परस्ती के लिए तस्वीरों का उपयोग सही नहीं मन जाता है।
इस मामले को तकरीबन सभी टीवी चैनलों, अखबारों और न्यूज पोर्टलों पर इसलाम को महिला विरोधी दिखाने की कोशिश की जा रही है।