इस्लाम में मां-बाप की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है, कुरान कहता है कि “ और तेरे रब ने हुक्म दे रखा है कि मेरे अलावा किसी की इबादत न करना, और अपने मां-बाप से अच्छा सुलूक करना। अगर उनमें से कोई एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो तुम उनको उफ़… तक न कहना, और न उनसे झिडकना और न उनको तकलीफ देना। मुहब्बत से उनके आगे झुक जाया करना, और कहा करना कि ऐ अल्लाह! इन दोनों पर रहम फरमा जैसा कि इसने मेरे ऊपर बचपन में रहम किया।
मूसा अलैहिस्सलाम की रिवायत है कि सबसे बड़ा गुनाह किया है? फ़रमाया सबसे बड़ा गुनाह यह है कि जब मां-बाप बुलाए और औलाद कहे कि मेरे पास वक़्त नहीं है।
इस विडियो में मौलाना ने कहा है कि मां-बाप जैसी नियामत इस दुनियां में नहीं है, अगर किसी ने मां-बाप को नाराज़ किया है तो वह कभी कामयाब नहीं होगा। मोहम्मद PBUH ने एक हदीस में फरमाया कि “मेरी मां अगर जिंदा होती, मैं ईशा की नमाज़ पढ़ रहा होता, अगर वह मुझे बुलाती तो मैं नमाज़ छोड़कर आ जाता”।
मौलाना ने मूसा अलैहिस्सलाम के बारे में बताया कि मूसा अलैहिस्सलाम बड़े गुस्से वाले थे, वह जब कोहे तूर पर जाते थे अल्ल्लाह से बात करने के लिए तो उसकी मां मुसल्ला बिछा लिया करती थी और दुआ करती थी कि ऐ अल्लाह इसके मिजाज़ में तेज़ी है बात करते हुए अगर आवाज़ ऊँची हो जाए तो माफ़ कर देना। कुछ दिनों बाद मां की मौत हो गई मूसा अलैहिस्सलाम कोहे तूर पर गए, गैब से आवाज़ आई मूसा.. होश से बात करना पीछे दुआ करने वाली कोई नहीं है।
देखें विडियो: