केरल में कुछ दिनों पहले ही एक महिला ने जमात को नमाज़ पढ़ाने दावा किया, दावा किया गया कि यह देश की पहली महिला इमाम है जिसने एक जमात की इमामत की है। लेकिन अब बहुत बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।
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नमाज़ पढ़ा रही महिला ने नमाज़ में कई गलतियां की हैं। मुस्लिम समुदाय इस महिला के मुसलमान नहीं होने का शक किया है। वजह यह रही कि नमाज़ पढ़ाने वाले कोई भी इमाम की इसलाम धर्म पर अच्छी होती है।
महिला ने नमाज़ के एक हिस्से में बड़ी गलती कर दी है। रुकू से उठते वक्त उसने समे अल्लाह हुलेमन हमिदा की जगह अल्लाहु अकबर कहती सुनी जा रही है। मुसलामानों का मानना है कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है। साथ ही नमाज़ अदा कर रहे लोगों पर भी सवाल खड़े किए हैं। क्योंकि नमाज़ में गलती अगर इमाम करता है तो पीछे से कोई भी शक्स लुकमा यानी इमाम के गलती का अहसास करा सकता है, जिसको इमाम फौरन सुधार कर सकता है।
यहां महिला की इतनी बड़ी गलती पर नमाज़ अदा कर रहे किसी भी शख्स ने लुकमा नहीं दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि ये लोग जो नमाज़ पढ़ते दिख रहे हैं, वो मुस्लिम नहीं भी हो सकते हैं। यह इसलाम और मुसलमानों को बदनाम करने की एक साजिश हो सकती है।
आपको बताता चलूँ कि इस विडियो में देखा जा सकता है, नमाज़ पढ़ने में शामिल पुरुषों के साथ महिलाओं की मौजूदगी है।आपको बता दें कि इसलाम धर्म में महिलाओं को इमामत करने की इजाजत नहीं है। इसलिए मुसलमानों ने इसे एक साजिश का हिस्सा बता रहे हैं।
केरल में एक थाकथित “कुरान और सुन्नत सोसाइटी” की महिला सचिव की जुमा की नमाज़ की इमामत करने की खबर की धार्मिक व दीनी हस्तियाँ और उलेमाए किराम ने कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर की है।
उलेमाओं ने कहा कि महिला सचिव का यह कार्य शरियत के खिलाफ है। उलेमा का कहना है कि इस्लाम महिलाओं को इमामत की इजाजत नहीं देता। महिलाओं के लिए साफ़ तौर पर आदेश है कि वह अपने घरों में रहकर अपनी नमाज़ अदा करें।
मालूम हो कि केरल में एक महिला ने जमे की नमाज अदा करवाई है. महिला इमाम का नाम जमीदा बताया गया है , वहीँ जमीदा का दावा है की वो देश की पहली महिला इमाम है. जमीदा ‘क़ुरान और सुन्नत सोसायटी’ की महासचिव हैं. जमीदा ने कुरान एवं सुन्नत सोसायटी के मुख्यालय चेरूकोड में जुमे की नमाज अदा करवाई. रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने ‘खुतबा’ भाषण भी दिया.
इंडिया टुडे को जमीदा ने बताया की देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई महिला जुमे की नमाज अदा करवा रही है. उन्होंने ये भी कहा कि कुरान में किसी भी लिंग के आधार पर कोई भी बंदिश नहीं है और गलत व्याख्याओं की वजह से यह पागलपन है.