पांच साल की जन्नत जो डल झील में गोल्डन लेक कहलाने वाले हिस्से में रहती है, को जब लगा कि जिस झील को वह अपना सबकुछ मानती है, जिसकी लहरों को देखकर वह नाचती है, वही झील गंदगी से अपना अस्तित्व बचाने को लड़ रही है तो वह भी डल को बचाने में जुट गई।
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श्रीनगर के राजबाग में स्थित लिंटन हॉल स्कूल में यू-केजी की छात्रा जन्नत जब भी मौका मिलता है, अपने पिता तारिक अहमद पटलू के साथ शिकारे में बैठकर झील में निकल पड़ती है।
जहां भी उसे कोई बोतल, प्लास्टिक थैली या कोई अन्य कचरा नजर आता है, वह उसे एक जाले के साथ उठाकर अपने शिकारे में रखती है और फिर अपने हाउस बोट के पिछले हिस्से में बने कूड़ेदान में जमा करती है,जहां से उसके पिता कचरे को म्यूनिसिपलटी की कचरा बीनने वाली गाड़ी तक पहुंचा देते हैं।
जन्नत अपने इस मिशन में बड़ी खामोशी से जुटी हुई थी। एक दिन उसके पिता तारिक अहमद जो खुद भी डल संरक्षण में जुटे हैं, ने अपनी बेटी का कचरा जमा करते हुए और लोगों को डल संरक्षण का संदेश देते हुए उसका वीडियो सोशल मीडिया पर लोड कर दिया। बहुत से लोगों ने वीडियो देखा और शेयर किया। बहुतों ने सराहा।
डल को बचाने और उसे साफ रखने में जुटी जन्नत का यह वीडियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देखा। वह भी जन्नत को सराहे बगैर नहीं रह सके और उन्होंने तुरंत ट्वीट करते हुए लिखा कि यह स्वच्छ भारत अभियान, क्लीन इंडिया कैंपेन का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर भी इसे शेयर किया है और लिखा है कि इस छोटी बच्ची को सुनिये। यह आपकी सुबह और भी बेहतर बनाएगी। स्वच्छता के प्रति जबरदस्त उत्साह।
शिकारे के एक हिस्से में हाथों में चप्पू लिए बैठी जन्नत लोगों को डल बचाने का संदेश दे रही है। वह बता रही है कि डल झील जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती रही है, अब गंदी हो रही है। लोगों को इसे बचाने और इसे साफ रखने के अपने फर्ज को पूरा करना चाहिए।
जन्नत के पिता तारिक अहमद पटलू ने एक अखबार से बताया कि जन्नत सिर्फ डल को ही साफ नहीं रखती, वह स्कूल जाते हुए, बाजार जाते हुए रास्ते में जहां भी कचरा देखती है, उठाती है और कूड़ेदान में डालती है।
वह अक्सर मेरे साथ डल में सफाई के लिए निकलती है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसके वीडियो पर ट्वीट किया है। इससे जन्नत और मेरा हौसला तो बढ़ा है लेकिन फायदा तभी है, जब जन्नत की अपील पर लोग अमल करें और डल को बचाने में मदद करें।