VIDEO: खुल गयी पोल, RSS समर्थक है फर्जी महिला इमाम!

केरल के तथाकथित महिला इमाम करने वाली की परत दर परत पोल खुलती जा रही है। शोसल मीडिया पर कुछ फोटो वायरल हो रही है, जिसमें उसे RSS समर्थक बताया जा रहा है। कुछ लोग शोसल मीडिया पर यह भी लिख रहे हैं कि हादिया के मामले में वह हादिया के पिता का साथ दे रही थी।
https://youtu.be/EUWxA1r4_IA
कहा जा रहा है कि अक्सर यह फर्जी महिला इसलाम के मुद्दे और मुसलमानों के मुद्दे पर मुसलमानों से उलझती रहती है। हमेशा विवादों में रहती है।

केरल में कुछ दिनों पहले ही एक महिला ने जमात को नमाज़ पढ़ाने दावा किया, दावा किया गया कि यह देश की पहली महिला इमाम है जिसने एक जमात की इमामत की है। लेकिन अब बहुत बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।

नमाज़ पढ़ा रही महिला ने नमाज़ में कई गलतियां की हैं। मुस्लिम समुदाय इस महिला के मुसलमान नहीं होने का शक किया है। वजह यह रही कि नमाज़ पढ़ाने वाले कोई भी इमाम की इसलाम धर्म पर अच्छी जानकारी होती है।

महिला ने नमाज़ के एक हिस्से में बड़ी गलती कर दी है। रुकू से उठते वक्त उसने समे अल्लाह हुलेमन हमिदा की जगह अल्लाहु अकबर कहती सुनी जा रही है। मुसलामानों का मानना है कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है।

साथ ही नमाज़ अदा कर रहे लोगों पर भी सवाल खड़े किए हैं। क्योंकि नमाज़ में गलती अगर इमाम करता है तो पीछे से कोई भी शक्स लुकमा यानी इमाम के गलती का अहसास करा सकता है, जिसको इमाम फौरन सुधार कर सकता है।

यहां महिला की इतनी बड़ी गलती पर नमाज़ अदा कर रहे किसी भी शख्स ने लुकमा नहीं दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि ये लोग जो नमाज़ पढ़ते दिख रहे हैं, वो मुस्लिम नहीं भी हो सकते हैं।

यह इसलाम और मुसलमानों को बदनाम करने की एक साजिश हो सकती है। यहां तक कि सिजदे में भी बड़ी चूक देखी जा रही है। नमाज़ मुकम्मल होने के लिए दो सिजदे की जरूरत होती है।

आपको बताता चलूँ कि इस विडियो में देखा जा सकता है, नमाज़ पढ़ने में शामिल पुरुषों के साथ महिलाओं की मौजूदगी है।आपको बता दें कि इसलाम धर्म में महिलाओं को इमामत करने की इजाजत नहीं है। इसलिए मुसलमानों ने इसे एक साजिश का हिस्सा बता रहे हैं।

आपको बता दें कि केरल में एक थाकथित “कुरान और सुन्नत सोसाइटी” की महिला सचिव की जुमा की नमाज़ की इमामत करने की खबर की धार्मिक व दीनी हस्तियाँ और उलेमाए किराम ने कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर की है।

उलेमाओं ने कहा कि महिला सचिव का यह कार्य शरियत के खिलाफ है। उलेमा का कहना है कि इस्लाम महिलाओं को इमामत की इजाजत नहीं देता। महिलाओं के लिए साफ़ तौर पर आदेश है कि वह अपने घरों में रहकर अपनी नमाज़ अदा करें।