वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में कथित गड़बड़ी की जांच शुरु करने वाले थे, लेकिन जांच शुरु होने से पहले ही मोदीसरकार ने वर्मा की जगह पहले से भ्रष्टाचार की जांच से घिरे अधिकारी एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का प्रभारी निदेशक बना दिया।

भूषण ने वाम दलों की ओर से राफेल खरीद मामले में कथित गड़बड़ी पर बुधवार को आयोजित जनसुनवाई को संबोधित करते हुए सीबीआई में मौजूदा घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर निशाना साधा।
Watch: I explain why Rafale is a 21K Cr bribery scam & it has also broken backbone of our Air Force, compromised our security& destroyed our self reliance. All done by PM to give Commissions to Ambani. CBI Dir removed to prevent probe. A case of treachery!https://t.co/u418s2gi5S
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 28, 2018
सुप्रीम कोर्ट के वकील ने वर्मा के खिलाफ कार्रवाई को दी चनौती
भूषण ने कहा ‘‘वर्मा के खिलाफ की गयी कार्रवाई का एकमात्र मकसद राफेल घोटाले की जांच को रोकना है। क्योंकि चार अक्तूबर को मैंने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिंहा के साथ राफेल घोटाले से जुड़े तथ्य वर्मा को सौंपे थे।

इन तथ्यों को गंभीरता से लेते हुये वर्मा आज जांच शुरु करने वाले थे, लेकिन इसके पहले ही मोदी सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया।’’ उल्लेखनीय है कि भूषण ने वर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
Those asking: 'What's the Corruption in Rafale deal?' should read our complaint to CBI to see how Modi replaced the almost done deal of 126 jets at ~700Cr each to 36 at >1600 each only to give 35% Commission to Ambani's Co.That's corruption u/s 7 of PC Act https://t.co/6kC33gcsTm
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 15, 2018
भूषण ने राफेल मामले को अब तक का सबसे बड़ा रक्षा खरीद घोटाला बताते हुए कहा ‘‘इसमें प्रधानमंत्री की सीधे तौर पर भागीदारी है और इसीलिये वर्मा की जगह उस अधिकारी को सीबीआई का प्रभारी निदेशक बनाया गया है जिस पर पहले से भ्रष्टाचार के मामलों में जांच चल रही है।’’
#CBICleanUp
Supreme Court advocate @pbhushan1 explains why he blames the Modi govt squarely for the mess in CBI. Listen in. #NewsToday LIVE at https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/OED78bDSzG— IndiaToday (@IndiaToday) October 24, 2018
जनसुनवाई के दौरान माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने वर्मा सहित सीबीआई के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को देश की शीर्ष जांच एजेंसी में ‘सियासी तख्तापलट’ बताया। उन्होंने कहा कि राफेल मामले में कथित घोटाले की सच्चाई को उजागर होने से रोकने के लिये सरकार ने न सिर्फ देर रात जांच एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों का तबादला कर दिया बल्कि सीबीआई मुख्यालय को सील भी कर दिया गया।
Sinha, Shourie and I file a petition in SC for a court monitored CBI investigation into Rafale deal. There is enormous pressure on the CBI not to embark upon any Investigation on our complaint. That's perhaps another reason for replacing the CBI directorhttps://t.co/1Gn3lJUkMO
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 24, 2018
वरिष्ठ वकील और स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने केंद्र की मोदी सरकार पर राफेल सौदे में भ्रष्टाचार करने, नियम कानून को ताक पर रखने तथा देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने का आरोप लगाया है।
Sr lawyer @pbhushan1 to challenge #AlokVerma's removal as CBI chief in court. Watch him in conversation with India Today's @PoojaShali#ITVideo
More videos: https://t.co/Nounxo6IKQ pic.twitter.com/4Ap2An8Rpi— IndiaToday (@IndiaToday) October 24, 2018
श्री भूषण ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए 126 विमान खरीदे जाने थे। इनमें से 108 मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनने थे। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कायदे कानून को ताक पर रख कर खुद ही 36 विमानों का सौदा कर दिया।
मेक इंडिया खत्म कर दिया। प्रौद्योगिकी हस्तांततरण भी खत्म हो गया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को किनारे कर दिया और अनिल अम्बानी को ऑफसेट भागीदार बना कर उसे 21000 करोड़ रूपये का ठेका दिला दिया।
उन्होंने कहा कि इस सौदे में विमान के दाम 670 करोड़ रूपए ये बढ़ा कर 1660 करोड़ रूपए कर दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस सौदे में भ्रष्टाचार किया है।
वायु सेना जो वर्षों से एक बेहतर युद्धक विमान की मांग कर रही थी उसकी कमर तोड़ दी। देश की आत्मनिर्भरता खत्म कर दी और उसकी सुरक्षा के साथ समझौता कर लिया।
श्री भूषण ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो को शिकायत देकर इस सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी और वह इस पर विचार कर भी रही थी।
इस सिलसिले में वह एजेंसी के निदेशक अलोक वर्मा से भी मिले जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं और सरकार ने काफी होहल्ला किया। उन्होंने दावा कि श्री वर्मा ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच भी शुरू कर दी थी।
ऐसे में सरकार ने रातों रात श्री वर्मा को पद से हटा दिया और ऐसे संदिग्ध व्यक्ति को कार्यवाहक निदेशक बना दिया जिस पर भ्रष्टाचार के अनेक आरोप हैं। इस नए अधिकारी ने रातों रात अनेक अधिकारियों के तबादले कर दिए।