VIDEO: इतिहास के पन्नों में रानी ‘पद्मावती’ की हकीकत क्या है?

रानी ‘पद्मिनी’ या ‘पद्मावती’ इतिहास की एक महान रानी के रूप में जनि जाती हैं। रानी पद्मिनी का उल्लेख सन 1540 में ‘मलिक मोहम्मद ज्यासी द्वारा लिखे गए महाकाव्य में पाया गया है। यह कविता रानी पद्मिनी या मद्मावती के घटनाओं के लगभग 240 साल बाद लिखा गया था।

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मलिक मोहम्मद ज्यासी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ के कुछ पंक्ति जिसमें रानी पद्मिनी के विषय में उन्होंने बताया था –

“तन चितउर, मन राजा कीन्हा । हिय सिंघल, बुधि पदमिनि चीन्हा ॥
गुरू सुआ जेइ पंथ देखावा । बिनु गुरु जगत को निरगुन पावा ?॥
नागमती यह दुनिया-धंधा । बाँचा सोइ न एहि चित बंधा ॥
राघव दूत सोई सैतानू । माया अलाउदीन सुलतानू ॥
प्रेम-कथा एहि भाँति बिचारहु । बूझि लेहु जौ बूझै पारहु ॥
इस कविता के अनुसार रानी पद्मिनी / पद्मावती चित्तोड़ के राजा राणा रतन सिंह की पत्नी थी और समकालीन सिंहली (श्रीलंका का एक द्वीप) राजा की बेटी थी।”

रानी पद्मिनी को उनके अपार दिव्य सौन्दर्य के लिए जाना जाता था और आज भी उनके सुन्दर्य के विषय में इतिहास में उल्लेख है।

रानी पद्मिनी जौहर (आत्मदाह) करने के कारण भी जाना जाता है। ऐसा तब उन्होंने किया था जब सन 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला कर दिया था।

वैसे तो इतिहास में रानी पद्मावती और उनके पूर्व जीवन के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है और यहाँ तक की मेवार में भी। परन्तु उनका उल्लेख बार-बार हिंदी साहित्य में उनका रिश्ता गोरा और बादल जो की चौहान थे और जिनका एक किला चित्तोर में है, उनसे किया गया है।