उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच शुरू हुआ। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राज्यपाल राम नाईक ने अभिभाषण पढ़ना प्रारम्भ किया लेकिन विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया और राज्यपाल की ओर कागज के गोले फेंके। उन्हें नाईक से दूर रखने के लिये सुरक्षाकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
Pandemonium in Uttar Pradesh assembly over law and order situation in the state. pic.twitter.com/vHzuFIafRZ
— ANI UP (@ANINewsUP) May 15, 2017
राज्यपाल का पूरा अभिभाषण सुनने के लिए विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कई बार अपील की लेकिन विपक्ष का इस अपील का कोई असर नहीं पड़ा। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने पहले ही घोषणा की थी कि वह सरकार को कानून-व्यवस्था और कुछ अन्य मुद्दों पर घेरेगी।
शोरशराबे और हंगामे के बीच राज्यपाल ने अभिभाषण पढ़ा। नाईक बीच-बीच में विपक्षी सदस्यों के रवैये को सवालिया नजरों से देखते और इशारों में आपत्ति जताते रहे। इस दौरान सुरक्षाकर्मी राज्यपाल की ओर फेंके जा रहे कागजों को फाइल के सहारे रोकते देखे गए।
राज्यपाल के अभिभाषण में राज्य सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं का जिक्र होता है। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में करीब 14 साल बाद भाजपा की सरकार बनी है। पहली बार राज्य विधानसभा की कार्यवाही का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया।
विधानसभा सत्र के दौरान योगी सरकार की मुख्य चुनौती कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लेकर बनी हुई है। योगी सरकार बनने के 50 दिनों के भीतर ही उप्र में कई जगह जातीय हिंसा हुई है। इसे लेकर कानून-व्यवस्था की स्थिति बदहाल होने का आरोप विपक्ष लगा रहा है।
सहारनपुर हिंसा के अलावा पिछले 50 दिनों के भीतर कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई, जब भाजपा के विधायक और सांसद ही कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बने।
वहीँ, गोरखपुर में भाजपा विधायक राधा मोहन दास द्वारा एएसपी चारू निगम को सार्वजनिक तौर पर फटकार लगाए जाने के मुद्दे पर भी विपक्षियों ने काफी हंगामा किया था।
इसके अलावा आगरा में कई हिंदूवादी संगठनों की वजह से कानून-व्यवस्था को लेकर समस्याएं खड़ी हुई हैं। इन सभी मुद्दों पर विपक्षी दलों ने सदन के भीतर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है।
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष राशिद मसूद का कहना है कि योगी सरकार के राज में माफिया राज कायम है। भाजपा के विधायक और सांसद ही कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए हैं।