अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना एक ‘राजनीतिक प्रचार’: नायडू

नव निर्वाचित उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आज देश में अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना होने की बात को महज ‘राजनीतिक प्रचार’ बताकर खारिज कर दिया.

हालांकि नायडू ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी टिप्पणी को पूर्व उप-राष्ट्रपति अंसारी के प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का प्रमाण है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं हुआ. उन्होंने कहा, उन्हें (अल्पसंख्यकों को) संवैधानिक जिम्मेदारियों समेत अहम पद हासिल हुये हैं क्योंकि यहां कोई भेदभाव नहीं है, और ऐसा उनकी योग्यता के कारण संभव हुआ.

असहिष्णुता की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि भारत एक विशाल देश है और इक्का-दुक्का मामले सामने आ सकते हैं जो कुछ और नहीं अपवाद हैं.

नायडू ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक वजहों से ऐसे मामलों में तिल का ताड़ बना देते हैं. कुछ लोग तो इस स्तर तक चले जाते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ऐसे मुद्दों को उठाकर देश को बदनाम तक करने लगते हैं. कुछ समुदायों के बीच दरार डालकर राजनीतिक स्वार्थसिद्धि के लिए ऐसा करते हैं . मूल समस्या वोट बैंक राजनीति और एक खास समुदाय को वोटबैंक माने जाने की वजह से है.